अहमदाबाद: कालाधन मुद्दे पर विशेष जांच टीम (एसआईटी) का नेतृत्व करने के लिए केंद्र द्वारा चुने गए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने इस विषय में कई पेचीदगियों के होने के बावजूद त्वरित जांच का भरोसा दिलाया. नरेन्द्र मोदी सरकार ने काला धन का खुलासा करने के लिए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एमबी शाह की अध्यक्षता में आज एसआईटी का गठन किया.
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) शाह ने फोन पर पीटीआई को बताया कि वहां कई सारी पेचीदगियां हैं लेकिन फिलहाल मेरे लिए यह कहना मुश्किल भरा है कि मैं किस जटिलता का सामना करुंगा. लेकिन मैं यथाशीघ्र उनका हल करने की कोशिश करुंगा.’’ जांच आयोग या समिति की रिपोर्ट सौंपे जाने में अतीत में देर होने के रिकार्ड के बारे में पूछे जाने पर पूर्व न्यायाधीश ने काम यथाशीघ्र निपटाने का भरोसा दिलाया.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अवैध लौह अयस्क खनन (ओडिशा और गोवा में) पर एक आयोग का अध्यक्ष था. मैंने प्रथम अंतरिम रिपोर्ट दो महीनें में (जांच शुरु होने के) सौंप दी थी.शाह ने कहा, ‘‘इसके बाद, छह महीने के अंदर गोवा रिपोर्ट सौंप दी गई. और इसके बाद अगले छह महीने में ओडिशा रिपोर्ट सौंप दी गई. इसलिए मैं आश्वस्त हूं कि मैं काम (काला धन मुद्दे की जांच) यथाशीघ्र पूरा कर लूंगा.’’ उन्होंने कहा कि वह बडे नेताओं और कॉरपोरेट शख्सियतों से सख्ती से निपटेंगे यदि वे विदेशी बैंकों में काला धन रखने में संलिप्त पाए जाएं.
उन्होंने बताया, ‘‘मैं कई साल न्यायाधीश रहा हूं..15 साल उच्च न्यायालय का न्यायाधीश और इसके बाद पांच साल उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश. मुझे शख्सियतों से कभी कोई परेशानी नहीं हुई और किसी ने मुङो छूने का साहस नहीं किया. इस बारे में चिंता ना करें.’’ एसआईटी का गठन किए जाने के कदम पर उन्होंने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय का निर्देश था और सरकार द्वारा इसका पालन किया जाना था.
शाह ने कहा, ‘‘इसके बाद, छह महीने के अंदर गोवा रिपोर्ट सौंप दी गई. और इसके बाद अगले छह महीने में ओडिशा रिपोर्ट सौंप दी गई. इसलिए मैं आश्वस्त हूं कि मैं काम :काला धन मुद्दे की जांच: यथाशीघ्र पूरा कर लूंगा.’’ उन्होंने कहा कि वह बडे नेताओं और कॉरपोरेट शख्सियतों से सख्ती से निपटेंगे यदि वे विदेशी बैंकों में काला धन रखने में संलिप्त पाए जाएं.
उन्होंने बताया, ‘‘मैं कई साल न्यायाधीश रहा हूं..15 साल उच्च न्यायालय का न्यायाधीश और इसके बाद पांच साल उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश. मुझे शख्सियतों से कभी कोई परेशानी नहीं हुई और किसी ने मुझे छूने का साहस नहीं किया. इस बारे में चिंता ना करें.’’ एसआईटी का गठन किए जाने के कदम पर उन्होंने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय का निर्देश था और सरकार द्वारा इसका पालन किया जाना था.