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रिश्तों की डोर वहीं से पकड़ेंगे, जहां मैंने और वाजपेयी ने छोड़ी थी : शरीफ

नयी दिल्ली : शांति का संदेश लेकर यहां आये पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सोमवार को कहा कि उनकी मंशा भारत के नये नेता नरेंद्र मोदी के साथ रिश्तों की डोर को वहीं से पकड़ने की है, जहां उन्होंने और तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में छोड़ी थी. लाहौर से भारत के […]

नयी दिल्ली : शांति का संदेश लेकर यहां आये पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सोमवार को कहा कि उनकी मंशा भारत के नये नेता नरेंद्र मोदी के साथ रिश्तों की डोर को वहीं से पकड़ने की है, जहां उन्होंने और तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में छोड़ी थी. लाहौर से भारत के लिए रवाना होने के दौरान शरीफ ने कहा कि वह शांति के पैगाम के साथ जा रहे हैं. शरीफ प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने यहां आये हैं.

पाक के पीएम ने कहा कि दोनों सरकारों के पास मजबूत जनादेश है और यह हमारे संबंधों में नया अध्याय खोलने में मदद कर सकता है. शरीफ की मोदी के साथ मंगलवार को द्विपक्षीय बैठक होगी, जिसमें दोनों पक्षों के सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करने की उम्मीद है.

लोकसभा चुनाव में भाजपा को शानदार जीत दिलानेवाले मोदी (63) ने अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए पिछले सप्ताह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री समेत दक्षेस नेताओं को निमंत्रण भेजा था. शरीफ के साथ पत्नी कुलसुम नवाज और बेटे हुसैन नवाज के अलावा एक प्रतिनिधिमंडल भी आया है.

सूत्रों ने उम्मीद जतायी कि पाकिस्तानी नेता भारत में अपने समकक्ष को पाकिस्तान आने के लिए औपचारिक निमंत्रण भी देंगे. हालांकि, विशेषज्ञों को इस यात्रा से कोई बड़ी सफलता हाथ लगने की उम्मीद नहीं है, लेकिन शरीफ की इस यात्रा से दोनों देशों के नेताओं को निजी संबंध विकसित करने का मौका मिलेगा, जो आनेवाले समय में तनाव कम करने की दिशा में मददगार होगा. पाकिस्तान से रवाना होने से शरीफ ने कहा, पाकिस्तान, भारत के साथ अच्छे संबंध चाहता है. मैं शांति का संदेश लेकर नयी दिल्ली जा रहा हूं.

द न्यूज ने रविवार रात बताया कि शरीफ ने लाहौर में अपने छोटे भाई शाहबाज शरीफ के अलावा अन्य से मुलाकात करके यात्रा के बारे में चर्चा की. समाचार पत्र ने अनाम सूत्रों के हवाले से कहा, प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर, सर क्रीक, जल एवं व्यापार समेत भारत के साथ सभी मसलों का समाधान चाहता है और वह इलाके में शांति स्थापना के लिए समानता के आधार पर संबंध स्थापित करना चाहता है. शरीफ ने बैठक में कहा कि सरकार ने सद्भावना का परिचय देने के लिए भारतीय मछुआरों को रिहा करने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब्त की गयी नौकाएं छोड़ने का निर्णय लिया गया है और इसका लक्ष्य संबंध सुधारना है.

शरीफ ने कहा, यह इसी भाजपा के प्रधानमंत्री वाजपेयी थे, जिनके लिए मेरे मन में सर्वाधिक सम्मान है. मेरी मंशा डोर को वहीं से पकड़ने की है, जहां वाजपेयी और मैंने 1999 में छोड़ी थी. यह एक-दूसरे तक पहुंचने का मौका है. कोई भी दो ऐसे मुल्क नहीं हैं, जिनके बीच भारत और पाकिस्तान जैसी सांस्कृतिक और पारंपरिक समानताएं हैं. क्यों न हम इन समानताओं को अपनी ताकत में बदलें. मैं श्री मोदी से मिलने को काफी उत्सुक हूं. हमें एक-दूसरे के प्रति डर, अविश्वास और आशंकाओं को दूर करना चाहिए.

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