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गंगा की सफाई के लिये मोदी की मदद की पेशकश

नयी दिल्ली : गंगा की सफाई के नरेंद्र मोदी के ऐलान की तारीफ करते हुए ऋषिकेश स्थित गंगा एक्शन परिवार ने इसमें मदद की पेशकश के साथ गंगा संसद की मेजबानी की पेशकश की है जिसमें मोदी के साथ उन सभी राज्यों के सांसदों को बुलाया जायेगा जहां से गंगा बहती है. वाराणसी से सांसद […]

नयी दिल्ली : गंगा की सफाई के नरेंद्र मोदी के ऐलान की तारीफ करते हुए ऋषिकेश स्थित गंगा एक्शन परिवार ने इसमें मदद की पेशकश के साथ गंगा संसद की मेजबानी की पेशकश की है जिसमें मोदी के साथ उन सभी राज्यों के सांसदों को बुलाया जायेगा जहां से गंगा बहती है.

वाराणसी से सांसद मोदी ने साबरमती की तरह 2019 तक गंगा को निर्मल बनाने का वादा किया है. उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान वाराणसी से नामांकन भरने के बाद खुद को गंगा से जोड़कर स्थानीय लोगों का दिल जीतने की कोशिश भी की थी. उन्होंने कहा था, न मुझे किसी ने काशी बुलाया है और न ही किसी ने भेजा है. मैं गंगा मैया के बुलावे पर आया हूं.

पिछले पांच साल से मिशन क्लीन गंगा में जुटे रिषिकेश स्थित गंगा एक्शन परिवार ने मोदी को यह लक्ष्य हासिल करने में मदद की पेशकश की है. गंगा एक्शन परिवार के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने अमेरिका से भाषा से कहा, मोदीजी का यह मिशन भारत के लिये अहम है क्योंकि गंगा खत्म हो जायेगी तो भारत भी खत्म हो जायेगा. हम इस मिशन में केंद्र की मदद को तत्पर हैं.

मैंने पहले भी मोदीजी से इस बारे में बात की है और गंगा को अपने निर्मल स्वरुप में लाने के लिये उनकी प्रतिबद्धता से मैं प्रभावित हूं. मैं जल्दी ही इस बारे में उनसे बात करुंगा. गंगा एक्शन परिवार उन दिग्गज शोधकर्ताओं, पर्यावरणविदों, इंजीनियरों, धार्मिक गुरुओं और व्यवसायियों का साझा मंच है जो गंगा से जुडी समस्याओं को दूर करने की दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं.

सरस्वती ने जल्दी ही ऋषिकेश में गंगा संसद के आयोजन का भी प्रस्ताव रखा है जिसमें मोदी और उन सभी राज्यों के सांसदों को न्यौता दिया जायेगा जहां से गंगा बहती है. उन्होंने कहा, अब गंगा संसद बुलाने का समय आ गया है जिसमें मोदी और उन तमाम सांसदों को बुलाया जायेगा जिनके राज्यों से गंगा बहती है. यह उन्हें गंगा को निर्मल बनाने के प्रयास तेज करने के लिये प्रेरित करेगा. हम 543 सेकंड की एक फिल्म भी बना रहे हैं जिसमें एक सांसद का एक सेकंड होगा.

उन्होंने कहा कि गंगा के लिये अलग मंत्रालय के साथ नये कडे कानून और उनका सख्ती से पालन भी जरुरी है. सरस्वती ने कहा, मंत्रालय के तहत ऐसी एक समिति होनी चाहिये जिसमें वैज्ञानिक, पर्यावरणविद और अध्यात्मिक गुरु सदस्य हों. राष्ट्रीय गंगा नदी अधिकार कानून पहले से ही मौजूद है जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं लेकिन उनके अति व्यस्त होने के कारण इसका एक उपाध्यक्ष भी होना जरुरी है ,जो पांच साल में नतीजे देने में सक्षम हो.

अभी तक गंगा की सफाई पर 20000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं लेकिन नतीजा ढाक के वही तीन पात. देश विदेश में इस मिशन पर कई व्याख्यान दे चुके सरस्वती ने कहा कि मुख्य बाधा राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव और लोगों की मानसिकता है.

सरस्वती ने कहा, मुख्य बाधा राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव थी जो अब मोदीजी के वादे के साथ दूर हो चुकी है. हमें लोगों की मानसिकता भी बदलनी होगी क्योंकि गंगा की सफाई के लिये सामूहिक प्रयास की जरुरत है. गंदे पानी को गंगा में जाने से रोकने के साथ ही गंगा के तटों को ग्रीन जोन बनाना होगा जहां सिर्फ जैविक खेती और जीरो बजट खेती की अनुमति दी जाये. लंदन की टेम्स नदी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि निर्धारित समय सीमा में गंगा की सफाई असंभव नहीं है.

उन्होंने कहा, एक समय था जब लंदन की टेम्स नदी इतनी प्रदूषित थी कि नाले जैसी हो गई थी लेकिन लोगों ने मिलकर उसे बेहद खूबसूरत बना दिया. गंगा के लिये भी हमें इसी तरह के प्रयास करने होंगे. गंगा नदी बेसिन को साफ, हराभरा और चिरस्थायी बनाने के लिये गंगा एक्शन परिवार ने सिक्स टी पहल भी की है.

सरस्वती ने कहा, सिक्स टी में टायलेट, टेप्स, ट्रैश, ट्रैक्स, टरी और टाइगर्स शामिल है. आपस में जुडे इस कार्यक्रम के जरिये हम गंगा बेसिन को बेहतर बना सकते हैं जो गंगा की सफाई के मिशन के लिये भी जरुरी है.

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