नयी दिल्ली : एसआइटी ने पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड की गुत्थी सुलझाते हुए शुक्रवार को बताया कि इस हत्याकांड मामले में गिरफ्तार छठे संदिग्ध परशुराम वाघमारे ने ही पत्रकार गौरी लंकेश को गोली मारी थी. एसआइटी के विशेष जांच अधिकारी ने कहा कि गौरी लंकेश, तर्कवादी गोविंद पानसरे और एमएम कलबुर्गी की हत्या में एक ही हथियार का प्रयोग किया गया था. हालांकि, अभी तक हथियार का पता नहीं चल पाया है.
अधिकारी ने कहा कि जिस संगठन ने गौरी लंकेश की हत्या की है, वह 60 सदस्यों के साथ कम-से-कम पांच राज्यों में अपने पैर पसार चुका है. उन्होंने कहा कि हमने गैंग का नेटवर्क मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक में फैला है. वहीं, एसआईटी सूत्रों की मानें तो वाघमारे ने कबूल किया है कि उसने गौरी लंकेश की हत्या की थी.
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 26 वर्षीय वाघमारे ने एसआईटी के सामने दावा किया कि जब 5 सितंबर 2017 को बेंगलुरु के आरआर नगर स्थित घर के सामने गौरी पर एक के बाद एक चार गोलियां दागी तो उसे पता नहीं था कि वह किसकी हत्या कर रहा है. एसआईटी के समक्ष वाघमारे ने कहा कि मुझे मई 2017 में कहा गया था कि अपने धर्म को बचाने के लिए मुझे किसी की हत्या करनी होगी. मैं तैयार हो गया. मुझे पता नहीं था कि वह कौन हैं लेकिन अब मुझे लग रहा है कि लंकेश को उन्हें नहीं मारना चाहिए था.
वाघमारे ने कहा कि उसे 3 सितंबर को बेंगलुरु ले जाया गया था. जहां बेलागवी में उसे एयरगन चलाने की ट्रेनिंग दी गयी. उसने कथित तौर पर एसआईटी को जानकारी दी कि मुझे पहले एक घर में ले जाया गया जहां से मुझे बाइक पर एक आदमी के साथ भेजा गया जिसने मुझे लंकेश का घर दिखाया. अगले दिन मुझे दूसरे रूम में ले जाया गया, जहां से हम फिर से गौरी के घर गये. मुझे उसी दिन हत्या करने को कहा गया लेकिन जब तक हम वहां पहुंचते तब तक गौरी घर के अंदर प्रवेश कर चुकी थी.
वाघमारे ने कथित तौर पर हत्या की बात स्वीकारी और कहा कि 5 सितंबर को शाम लगभग 4 बजे मुझे बंदूक दी गयी और हम (एक अन्य व्यक्ति के साथ) गौरी के घर पहुंचे. हम सही समय पर पहुंच चुके थे. गौरी ने घर के बाहर अपनी कार रोकी. जब मैं उनके पास पहुंचा तो वह कार का गेट खोल रही थीं. मैंने उन पर चार गोलियां चला दी. फिर हम वापस आए और उसी रात शहर छोड़ दिया. एसआईटी सूत्रों की माने तो वाघमारे के साथ बेंगलुरु में अलग-अलग समय पर कम से कम तीन लोग थे. एक जो उसे बेंगलुरु लाया, दूसरा जो उसे हत्या वाले दिन गौरी के घर लेकर पहुंचा और तीसरा जो 4 सितंबर को वाघमारे को गौरी के घर ले गया.
वाघमारे का कहना है कि वह किसी को नहीं जानता है.