28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बोलीं जयललिता,श्रीलंका के राष्ट्रपति को शपथ ग्रहण समारोह के लिए न्यौता दुर्भाग्यपूर्ण

चेन्नई : भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 26 मई के अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को आमंत्रित करने के खिलाफ चिर प्रतिद्वंद्वी पार्टियों द्रमुक और अन्नाद्रमुक ने आज एक सुर में बात की और मुख्यमंत्री जयललिता ने इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार देते हुए पहले से दुखी तमिलों के जख्मों पर […]

चेन्नई : भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 26 मई के अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को आमंत्रित करने के खिलाफ चिर प्रतिद्वंद्वी पार्टियों द्रमुक और अन्नाद्रमुक ने आज एक सुर में बात की और मुख्यमंत्री जयललिता ने इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार देते हुए पहले से दुखी तमिलों के जख्मों पर नमक छिडकने जैसा बताया.

राजपक्षे प्रशासन की मुखर विरोधी अन्नाद्रमुक प्रमुख ने श्रीलंका के राष्ट्रपति को आमंत्रित करने को गलत सलाह पर उठाया गया कदम बताया और कहा कि इसे टाला जा सकता था, खासकर केंद्र राज्य संबंधों के संदर्भ में. जयललिता के इस विरोध को लेकर उनके मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पर सवालिया निशान लगने लगे हैं. आमंत्रण का भाजपा की सहयोगी एमडीएमके द्वारा विरोध किए जाने के एक दिन बाद द्रमुक ने कहा कि मोदी को इस संबंध में तमिल लोगों की भावना को समझना चाहिए और इससे से बचना चाहिए था.

जयललिता ने एक बयान में कहा कि देश-विदेश में रह रहे तमिलों की संवेदना ज्ञात है, केंद्र में सत्ता परिवर्तन से तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच पहले से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंध में कोई बदलाव नहीं आने वाला है. उन्होंने राज्य विधानसभा में पारित विभिन्न प्रस्तावों का जिक्र किया जिनमें तमिलों के खिलाफ श्रीलंकाई सेना के कथित युद्ध अपराध को लेकर उस देश के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाने सहित अन्य मांग की थी. जयललिता ने कहा कि संप्रग सरकार ने विभिन्न प्रस्तावों पर कार्रवाई नही करते हुए उनकी ‘‘अनदेखी’’ की और उम्मीद थी कि नई सरकार श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर सहानुभूति रखेगी. लेकिन राजपक्षे को आमंत्रित करने से तमिलनाडु के लोगों को गहरी निराशा हुयी है.

मोदी ने 2011 में मुख्यमंत्री पद के लिए जयललिता के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था वहीं जयललिता 2012 में मुख्यमंत्री पद के लिए मोदी के शपथग्रहण समारोह में शामिल हुयी थीं. द्रमुक ने कहा कि राजपक्षे को आमंत्रित करने को टाला जाना चाहिए था. पार्टी प्रवक्ता इलानगोवन ने कहा कि भावी प्रधानमंत्री को तमिलनाडु के लोगों की भावना को समझना चाहिए था. उधर वाइको ने मोदी को लिखे एक पत्र में अनुरोध किया कि शपथ ग्रहण समारोह में महिंदा राजपक्षे की मौजूदगी को टाला जाना चाहिए.

इस बीच भाजपा को विरोधी कांग्रेस से सहारा मिला और पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख बी एस ज्ञानादेसिकन ने वस्तुत: इस कदम का बचाव किया. उन्होंने कहा, ‘‘ तमिलों को समान राजनीतिक दर्जा, श्रीलंका के संविधान के 13वें संशोधन का कार्यान्वयन :अधिकारों के विकेंद्रीकरण संबंधी: और :कथित: युद्ध अपराधों की जांच जैसे मुद्दों पर कांग्रेस की कोई दूसरी राय नहीं है. लेकिन साथ ही, अगर इन सब का कार्यान्वयन किया जाना है, तो हमें श्रीलंका के राष्ट्रपति से ही बात करनी होगी. ’’ उन्होंने जोर देते हुए कहा कि श्रीलंका ‘‘हमारा पडोसी’’ और दक्षेस का सदस्य है. ऐसे में यह भारत के हित में है कि उस देश के साथ मित्रतापूर्ण संबंध रहे. ‘‘यह कूटनीति है.’’ इस बीच अन्नाद्रमुक की सहयोगी टीवीके ने राजपक्षे की यात्र के विरोध में 26 मई को विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें