मुंबई : अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल आर डी प्रधान ने कहा है कि पिछले कुछ सालों में महात्मा गांधी के मूल्यों और शिक्षाओं की प्रासंगिकता विश्वभर में बढ़ी है. प्रधान ने कल पूर्व भारतीय राजनयिक पी ए नजारेथ द्वारा मूलत: अंग्रेजी में लिखी किताब गांधीज आउटस्टैंडिंग लीडरशिप के मराठी संस्करण को जारी करते हुए कहा, गांधी जी के मूल्यों की प्रासंगिकता पिछले 15-20 वर्षों में दुनियाभर में बढ़ी है.
यहां तक कि अब अमेरिकी राष्ट्रपति भी गांधी जी के मूल्यों की प्रशंसा करते हैं. प्रधान ने कहा कि वर्ष 1953 में अहमदाबाद में प्रशासनिक अधिकारी के रुप में उनकी पहली नियुक्ति के दौरान उनका परिचय राष्ट्रपिता की शिक्षाओं से हुआ.
उन्होंने कहा, हम नियमित रुप से साबरमती आश्रम जाया करते थे और मैं उस पुराने चरखे को देखते हुए घंटों बिताया करता था, जिस पर वह काम करते थे. मैं इस बात पर हैरान होता था कि कैसे गांधी जी उस चरखे के जरिए भारत में क्रांति ले आए. क्योंकि उनका एकमात्र हथियार चरखे का संगीत था. और उसके जरिए उन्होंने एक आंदोलन खडा किया, जो कि मूल रुप से खादी वस्त्रों पर टिका था. इस अवसर पर नजारेथ ने कहा कि एक युवा अधिकारी के रुप में वह पूरे विश्व में जाकर गर्व के साथ यह दावा करते रहे कि धार्मिक सहिष्णुता भारत की ओर से दुनिया को दिया गया तोहफा है.
लेखक ने कहा कि अक्सर लोग पूछते हैं कि क्या गांधी आज भी प्रासंगिक हैं? और जब इस महान नेता से प्रेरित होकर समाज में बदलाव लाते दुनिया के लोग दिखाई पडे तो उन्होंने उन पर किताब लिखने के बारे में सोचा. उन्होंने कहा, विश्व अपने आप को इतनी भयावह स्थिति में ला चुका है, जहां सभी हथियार और जनसंहारक हथियार जमा किए गए हैं. बस कहीं चिंगारी भडकने की देर है. इसलिए गांधी जी के मूल्य न सिर्फ प्रासंगिक हैं, बल्कि पहले से कहीं महत्वपूर्ण भी हैं.
उन्होंने कहा कि वे पिछली संप्रग सरकार के उस कदम का समर्थन नहीं करते जिसमें खुदरा में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश लाने की बात कही गई. उनका कहना है कि इससे बहुत से लोगों का रोजगार छिन जाएगा. हालांकि, उन्होंने भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास मॉडल का समर्थन किया. उन्होंने कहा, मोदी चाहते हैं कि हर व्यक्ति विकास में शामिल हो और मैं इसका दृढता के साथ समर्थन करता हूं. यह काफी हद तक गांधीवादी रवैया है.