नयी दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तीन माह बाद अरविंद केजरीवाल ने आज दिल्ली की जनता और देश से बीच रास्ते में इस्तीफा दे देने के लिए माफी मांगी और कहा कि पार्टी चुनावों के लिए तैयारी करेगी.
49 दिनों के कार्यकाल के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देने वाले आम आदमी पार्टी के प्रमुख ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में उनकी पार्टी द्वारा दिल्ली में सरकार बनाए जाने की संभावना नगण्य है.
केजरीवाल ने संवाददाताओं से कहा, मैं दिल्ली और देश के लोगों से बीच में ही इस्तीफा देने के लिए माफी मांगता हूं. उन्होंने कहा, हमने बैठकें करके चुनावों की तैयारी करने का फैसला किया है. आने वाले दिनों में हम लोगों के बीच में जाएंगे और कई बैठकें करेंगे.
इन बैठकों में दिल्ली के लोगों से माफी मांगेंगे और उनका विश्वास हासिल करके उन्हें कहेंगे कि वे हमें पूर्ण बहुमत के साथ अपना समर्थन दें. जब उनसे दोबारा सरकार बनाने की संभावना के बारे में पूछा गया तो केजरीवाल ने कहा, ऐसी संभावनाएं थीं लेकिन इस समय किसी के लिए भी सरकार बनाना संभव नहीं लगता.
केजरीवाल ने कल उपराज्यपाल नजीब जंग से मुलाकात करके उन्हें जल्दी ही विधानसभा भंग न करने के लिए कहा था. उन्होंने जंग से कहा था कि वे शहर में जनसभाएं करके लोगों से पूछेंगे कि क्या पार्टी को दोबारा सरकार बनानी चाहिए. हालांकि पहले केजरीवाल की सरकार को समर्थन देने वाली कांग्रेस ने कल उन्हें दोबारा समर्थन देने से इंकार कर दिया था.
पिछले दिसंबर में हुए अपने पहले विधानसभा चुनावों में ही आप ने 28 सीटें जीत ली थीं. इसके बाद आप ने कांग्रेस के आठ विधायकों के बाहरी समर्थन के साथ सरकार बनाई. भाजपा ने 70 सदस्यीय विधानसभा में कुल 32 सीटें जीती थीं, जिसमें उसके सहयोगी अकाली दल के एक विधायक की सीट भी शामिल थी. पार्टी के तीन विधायकों हर्षवर्धन, रमेश बिधूडी और प्रवेश वर्मा के सांसद बन जाने पर अब भाजपा के विधायकों की संख्या 28 रह गई है.
केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने 14 फरवरी को उस समय इस्तीफा दे दिया था, जब पार्टी के मूल मुद्दे- जनलोकपाल बिल को भाजपा और कांग्रेस के विरोध के कारण पारित नहीं कराया जा सका था. 17 फरवरी को दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था.
उपराज्यपाल नजीब जंग ने 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा को भंग करने के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया था. केजरीवाल की अध्यक्षता वाले मंत्रियों की परिषद ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश की थी. इस सिफारिश को स्वीकार न करते हुए जंग ने विधानसभा को स्थगित स्थिति में ही बनाए रखा. भाजपा ने भी कहा है कि वह जोड़तोड़ के जरिए सरकार बनाने के बजाय नए सिरे से चुनाव कराने को प्राथमिकता देगी.