नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि चुनाव लड रहे उम्मीदवार यदि अपनी, अपने जीवनसाथी की और अपने बच्चों की संपत्तियों एवं देनदारियों से जुडी जानकारी नहीं देते हैं तो वे अयोग्य करार दिए जा सकते हैं. न्यायमूर्ति सुरिंदर सिंह निज्जर :अब सेवानिवृत हो चुके हैं: और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की पीठ ने कहा कि चुनाव लड रहे व्यक्ति की कानूनी जवाबदेही है कि वह अपने आपराधिक इतिहास और शैक्षणिक योग्यताओं से जुडी जानकारियों का खुलासा करें.
पीठ ने एक फैसले में कहा, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत नागरिकों को चुनाव लड रहे उम्मीदवारों के बारे में पूरी जानकारी रखने का मौलिक अधिकार है और यही वजह है कि उन पर अपने आपराधिक इतिहास, शैक्षणिक योग्यता और अपनी जीवनसाथी, अपने उपर निर्भर बच्चों सहित अपनी संपत्ति की जानकारी का खुलासा करने की जिम्मेदारी है.’’ न्यायालय ने कहा कि नामांकन-पत्र दाखिल करते वक्त यदि कोई उम्मीदवार अपने आपराधिक इतिहास, शैक्षणिक योग्यता और संपत्तियों तथा देनदारियों से जुडा कॉलम खाली छोड देता है तो निर्वाचन अधिकारी नामांकन-पत्र की जांच के वक्त ऐसे उम्मीदवार का नामांकन खारिज कर सकता है. पीठ ने किशन शंकर काठोर की अपील खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया गया.
काठोर को अक्तूबर 2004 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में जीत हासिल हुई थी. उन्हें ठाणो जिले के अंबरनाथ विधानसभा क्षेत्र से चुना गया था. उनके निर्वाचन को अजरुन दत्तात्रेय सावंत नाम के एक मतदाता ने चुनौती दी थी. साल 2007 में बंबई उच्च न्यायालय ने बिजली बिलों के बकाए का खुलासा न करने पर अजरुन की अर्जी मंजूर कर ली थी. उच्चतम न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा.