बनारस में मोदी के मुकाबले में उतरे कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय अपने इलाके में तो खासे मशहूर हैं, मगर बाहर के लोगों को उनके बारे में कम जानकारी है. पांच बार विधायक रह चुके अजय राय ने राजनीति की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी की छात्र इकाई से की थी.
1996 से 2007 तक लगातार तीन बार वे भाजपा के टिकट से लड़कर कोलासला से विधायक बने. बाद में उनकी निगाहें लोकसभा सीट पर पड़ने लगी. पार्टी की ओर से लोकसभा प्रत्याशी नहीं बनाये जाने पर उन्होंने भाजपा छोड़कर 2009 में समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. मगर उन्हें लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. उसी साल फिर उन्होंने निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़ा और वे कोलासला से फिर से विधायक बन गये. इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गये और 2012 में परिसीमन के बाद बनी पिंडारा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये. अजय राय की छवि एक बाहुबलि नेता की है, खुद उनके द्वारा घोषित शपथ पत्र में उन्होंने स्वीकार किया है कि उनके खिलाफ 9 आपराधिक मुकदमे लंबित हैं. इनमें से दो तो गैंगस्टर केस हैं. माना जाता है कि अपराध की दुनिया में वे उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन ब्रजेश सिंह के करीबी रहे हैं. एक अन्य बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी जो मोदी के खिलाफ वाराणसी से ही चुनाव लड़ने वाले थे के साथ उनकी दुश्मनी जगजाहिर है.
आरोप है कि मुख्तार अंसारी ने अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की हत्या करवा दी थी. वे भी ब्रजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह के साथ अपराध की दुनिया के हिस्सेदार बताये जाते रहे हैं. बहरहाल इस बीच वाराणसी के चुनाव में मुख्तार अंसारी के भाई ने अजय राय के समर्थन की घोषणा कर दी है, जिससे ऐसा संदेश दिया जा रहा है कि मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में इन दोनों की बरसों पुरानी जंग मेल-मिलाप में बदल रही है.