लातूर (महाराष्ट्र): राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के हालिया मामलों ने राष्ट्र की चेतना को झकझोर दिया है.
उन्होंने आज युवाओं के मन में प्राचीन मूल्य पैदा करने की वकालत की ताकि इन सामाजिक बुराइयों पर रोक लगाई जा सके. उन्होंने कहा कि हाल की घटनाओं खासकर महिलाओं के खिलाफ अपराध ने हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया है. राष्ट्रपति ने यहां दयानंद शिक्षा समाज की स्वर्ण जयंती के समापन समारोह में अपने भाषण में कहा कि अब लोग फिर से इस बारे में बातें कर रहे हैं.
अगर हमने अपनी सभ्यता की संपत्ति ‘महिलाओं के लिए सम्मान, बच्चों की देखभाल, बुजुर्गों के लिए सम्मान और सर्वसमाज के लिए सहिष्णुता’ नहीं भूले होते तो ये कभी नहीं होती. मुखर्जी ने कहा कि ये मूल्य हमारी प्राचीन सभ्यता से आते हैं. ये मूल हैं जिन्हें युवा छात्रों के मन में शुरु से पैदा करने की जरुरत है. अगर हमारे पास मूल्य होंगे तो हमें इन सामाजिक बुराइयों से निबटने के लिए कठोर या कठोरतम कानून के बारे में चिंता करने की जरुरत नहीं होगी. उन्होंने कहा कि शिक्षा महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.
राष्ट्रपति ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए देश की शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार करने की जरुरत पर बल दिया. उन्होंने शिक्षाविदों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए कहा. उन्होंने कहा, ‘‘केवल मात्र नहीं बल्कि हमें शिक्षा में गुणवत्ता की भी आवश्यकता है. मैंने इससे पहले भी अपनी निराशा साझा की है..विश्व के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में केवल एक भारतीय विश्वविद्यालय है.’’ उन्होंने कहा कि भारत में प्राचीन समय में नालंदा और तक्षशिला जैसे कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालय थे.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा विश्वास है कि अगर हम प्रयास करेंगे, हम उन सुनहरे दिनों में वापस जा सकते हैं.’’ मुखर्जी ने निजी क्षेत्र से शिक्षा क्षेत्र की बेहतरी और नूतनता के लिए निवेश करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा क्षेत्र में बड़ा निवेश कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना में शिक्षा के विस्तार के लिए जीडीपी का छह प्रतिशत निर्धारित किया है.’’
राष्ट्रपति ने कहा कि देश के उच्च शिक्षा क्षेत्र में काफी विस्तार हुआ है. इस क्षेत्र में नामांकित कुल छात्रों की संख्या 11वीं योजना की समाप्ति के समय 2.6 करोड़ थी जो 12वीं योजना में बढ़ने की संभावना है.