नयी दिल्ली : सहारा मामले की सुनवाई का हिस्सा रहे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन ने कहा है कि इस जटिल मामले पर सुनवाई करने के दौरान दो सदस्यीय पीठ पर दबाव, तनाव और भार अकल्पनीय है.
वकीलों के एक समूह द्वारा यहां आयोजित अपने विदाई समारोह में विधि बिरादरी को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति राधाकृष्णन ने कहा, जिस दबाव, तनाव और भार से हम दोनों गुजरे हैं वह अकल्पनीय है. हम इसे बयां नहीं कर सकते. हम दबाव में हैं और यह दबाव पहले ही मेरी पत्नी और परिवार के सदस्यों पर भी परिलक्षित हुआ है. यह बेहद जटिल मामला है, यह अब भी खत्म नहीं हुआ है. इसलिए, सहारा मामले पर मैं बहुत अधिक नहीं बोल सकता हूं.
आगामी 15 मई को सेवानिवृत्त हो रहे न्यायमूर्ति राधाकृष्णन ने न्यायमूर्ति जे एस खेहड के साथ सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय और कंपनी के दो अन्य निदेशकों से संबंधित मामले की सुनवाई की है. सुब्रत रॉय और कंपनी के दो अन्य निदेशक निवेशकों के 20 हजार करोड रुपये लौटाने के शीर्ष अदालत के आदेश का पालन करने में विफल रहने के लिए गत चार मार्च से जेल में हैं.
जाने-माने वकील सोली सोराबजी ने पीठ द्वारा अपनाए गए रुख की सराहना की. उन्होंने कहा, यह तथ्य कि पीठ अडिग रही—और किसी भी स्रोत से प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से इस तरह के दबाव का सामना करने में सक्षम रही, वह प्रशंसनीय है.