मुंबई: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारु का कहना है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण प्रधानमंत्री के प्रति निष्ठावान नहीं थे और उन्होंने 2009 के आम चुनाव में कांग्रेस की जीत का श्रेय सिंह के बजाय राहुल गांधी को दिया था. कल रात यहां अपनी पुस्तक ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के लोकार्पण के अवसर पर उन्होंने कहा कि 2009 में जब कांग्रेस जीती, तब सिंह को लगा था कि यह उनकी जीत है.
वर्ष 2004 से 2008 तक सिंह के मीडिया सलाहकार रहे बारु ने कहा कि वह भी ऐसा ही सोचते थे. लेकिन जब वह टीवी पर एक परिचर्चा देख रहे थे कि यह सोनिया की जीत है या मनमोहन सिंह की, तब प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री रहे चव्हाण सहसा बोल पडे कि यह राहुल गांधी की जीत है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं वहां बैठा था और सबकुछ देख रहा था. मैंने अपने मन में ही सोचा कि इस व्यक्ति को मनमोहन सिंह के कारण काम मिला, (लेकिन) ‘क्या गद्दार है ये.’ ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा अपना विचार था कि उन्हें (सिंह को) अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए था. लेकिन मैंने कभी सार्वजनिक रुप से यह बात नहीं कही. मैं जब भी उनसे मिलता था, उनसे कहा करता था कि आप कब तक इसे बर्दाश्त करना चाहते हैं. कृपया चले जाइए. अंत में, जब राहुल गांधी टीवी पर आए और उन्होंने कहा कि दोषी व्यक्तियों को चुनाव लडने देने की इजाजत संबंधी मंत्रिमंडल का फैसला बकवास है, मैं टीवी पर आया और मैंने कहा कि सिंह को इस्तीफा दे देना चाहिए.’’
बारु ने कहा, ‘‘मुझे उनकी (प्रधानमंत्री की) बेटी का एसएमएस भी मिला जिसमें उन्होंने कहा कि मैं आपसे सहमत हूं. ’’ हालांकि प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार ने यह नहीं बताया कि सिंह की किस बेटी ने उन्हें संदेश भेजा था. उन्होंने कहा कि 2009 में कांग्रेस को मनरेगा कानून की वजह से नहीं बल्कि शहरी मतदाताओं के समर्थन से जीत मिली.
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में मतदाताओं ने कांग्रेस के खिलाफ वोट डाला. तो ऐसे में कांग्रेस को कहां से सीटें मिलीं? दरअसल कोयंबटूर, पुणे, हैदराबाद, बेंगलूर और मुंबई जैसे शहर ही थे जहां कांग्रेस के वोट थे. बारु ने कहा कि शहरों में तब मध्य वर्ग कांग्रेस से खुश था जिससे कांग्रेस को शहरी मतदाताओं से लाभ मिला. यहां तक कि उत्तर प्रदेश में भी कानपुर, इलाहाबाद और लखनउ जैसे शहरों में मतदाताओं ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया.
बारु ने प्रधानमंत्री कार्यालय में अपने दिनों को संस्मरण का रुप देकर हाल ही में विवाद पैदा कर दिया है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने उसे कपोल कल्पना करार देकर पुस्तक की निंदा की.