नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि देश में अश्लील सामग्री वाली वेबसाइट्स को अवरुद्ध करना संभव नहीं है और इससे अधिक नुकसान हो सकता है क्योंकि ऐसे शब्दों के साहित्यिक विवरण भी जनता के लिये इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं होगा.
न्यायमूर्ति बी एस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष अतिरिक्त सालिसीटर जनरल केवी विश्वनाथन ने कहा कि इस तरह की वेबसाइट्स को अवरुद्ध करने से अधिक नुकसान होगा.
उन्होंने कहा, ‘‘सभी कुछ अवरुद्ध हो जायेगा और यहां तक की अच्छा साहित्य भी अवरुद्ध हो जायेगा और इससे अधिक नुकसान होगा.’’ उन्होंने कहा कि ऐसी वेबसाइट्स को अवरुद्ध करने के लिये प्रत्येक कंप्यूटर में एक साफ्टवेयर लगाना पडेगा और सभी कंप्यूटर निर्माताओं के लिये ऐसा साफ्टवेयर लगाने हेतु निर्देश देना पडेगा.
न्यायालय इन्दौर निवासी वकील कमलेश वासवानी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था.इस याचिका में कहा गया है कि हालांकि अश्लील वीडियो देखना अपराध नहीं है लेकिन ऐसी साइट्स पर पाबंदी लगायी जानी चाहिए क्योंकि महिलाओं के प्रति अपराध की यह एक बडी वजह है.
वकील विजय पंजवानी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि इंटरनेट कानूनों के अभाव में लोग अश्लील वीडियो देखने के लिये प्रेरित होते हैं. याचिका के अनुसार इस समय बाजार में ऐसी 20 करोड से भी अधिक वीडियो और क्लीपिंग सहजता से उपलब्ध हैं.