नयी दिल्ली: पूर्व कोयला मंत्री दसारी नारायण राव ने आज कहा कि यदि उन्होंने कोई गलत निर्णय किया होता तो प्रधानमंत्री उन्हें मंत्रिपद से हटा सकते थे. ओडिशा में तालाबिरा.2 कोयला ब्लाक आबंटन में कथित अनियमितताओं की जांच के संबंध में सीबीआई ने राव से पूछताछ की है.
राव ने यह भी कहा कि कोयला मंत्रालय से संबद्ध किसी भी काम पर अंतिम निर्णय कैबिनेट मंत्री शिबू सोरेन और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा किया गया. सिंह के पास अलग अलग समय में यह मंत्रालय था. पूर्व कोयला सचिव पी.सी. पारख द्वारा हाल ही में जारी उनकी पुस्तक कोलगेट में राव और सोरेन पर भी आरोप लगाया गया है.
राव ने कहा, ‘‘ उनका आरोप है कि जब उन्होंने बोली का प्रस्ताव किया, मैंने इनकार कर दिया. मैंने सहयोग नहीं दिया. मैं सहयोग देने वाला कौन होता हूं. आखिरकार मैं राज्यमंत्री था. उस समय कैबिनेट मंत्री शिबू सोरेन थे, कभी कभी प्रधानमंत्री थे.’’ पूर्व राज्यसभा सदस्य ने कहा कि मंत्रालय में नई चीजें शुरु करने में कुछ ‘व्यवहारिक समस्याएं’ थीं.
‘‘जब कभी वे कुछ नई चीजें शुरु करना चाहते थे, उसमें कुछ दिक्कतें थी, व्यवहारिक दिक्कतें. इसलिए मैंने उन समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया. मैंने इसे प्रधानमंत्री या कैबिनेट मंत्री के समक्ष रखा. इसलिए यदि ये समस्याएं सही समस्याएं नहीं थीं तो मंत्री तत्काल निर्णय कर सकते थे.’’