नयी दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने कहा है कि न्यायपालिका के बारे में कुछ कहने से दूर रहने की चेतावनी के बावजूद उन्होंने क्षेत्र में विभिन्न सुधारों का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि इस साल की आर्थिक समीक्षा में प्रमुख बातें न्यायपालिका, स्त्री-पुरुष समानता तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने से संबंधित है.
सुब्रमणियम ने कहा, ‘हमें समय पर न्याय के संदर्भ में इसके कामकाज में ज्यादा-से-ज्यादा सुगमता के बारे में सोचना चाहिए. हमने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, न्यायपालिका जैसे नये क्षेत्रों में दस्तक दी है.’ उन्होंने कहा, ‘हमसे पहले ही कह दिया गया था कि हमें न्यायपालिका से दूर रहना चाहिए, लेकिन हम उन क्षेत्रों में गये. इससे अधिक आप हमसे क्या सुधारवादी रुख चाहते हैं.’ वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में सोमवार को पेश 2017-18 की आर्थिक समीक्षा में अन्य बातों के अलावा कामकाज में सुगमता के नजरिये से न्यायपालिका में व्यापक सुधार की जरूरत को रेखांकित किया गया है.
सुब्रमणियम द्वारा लिखी समीक्षा में अदालतों में लंबे समय से लंबित मामलों को रेखांकित किया गया है. ‘नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड’ के आंकड़े के अनुसार 2017 के अंत तक उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या करीब 35 लाख थी. समीक्षा में निचली अदालतों में क्षमता बढ़ाने के साथ अदालतों के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण पर जोर दिया गया है.