नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में 2004 के इशरत जहां मुठभेड कांड की जांच करने वाले विशेष जांच दल के एक सदस्य के खिलाफ आपराधिक और अवमानना की कार्यवाही के लिये दायर याचिका पर विचार से आज इंकार कर दिया. न्यायमूर्ति एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने प्रणोश पिल्लै उर्फ जावेद शेख के पिता गोपीनाथ पिल्लै की याचिका विचारार्थ स्वीकार करने से इंकार कर दिया। अहमदाबाद के बाहरी छोर पर 15 जून, 2004 को हुये इशरत जहां मुठभेड कांड में मारे गये चार व्यक्तियों में प्रणोश पिल्लै भी शामिल था.
न्यायालय ने कहा कि पिल्लै की याचिका समय पूर्व है. न्यायालय ने उनसे कहा कि कुछ समय इंतजार करके देखिये कि उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई हो रही है या नहीं. पिल्लै की याचिका इससे पहले गत वर्ष सितंबर में गुजरात उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी थी. पिल्लै ने इस याचिका में विशेष जांच दल के सदस्य मोहन झा के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया था. उनका आरोप था कि झा ने कथित रुप से इस मामले के गवाहों को प्रभावित किया है.याचिका में दावा किया गया कि सीबीआई द्वारा आरोप पत्र के साथ पेश गवाहों की सूची से संकेत मिलता है कि गुजरात पुलिस के अधिकारी झा ने गवाहों पर अपने बयान से मुकरने के लिये दबाव डाला था. सीबीआई ने 19 वर्षीय इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणोश पिल्लै, जीशान जौहर और अमजद अली के 2004 में फर्जी मुठभेड के मामले में गुजरात के निलंबित पुलिस उपाधीक्षक एनके अमीन और छह अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था.