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कलाकार भी हैं हमारे नेता

सुशांत झा भारतीय राजनीति में ऐसे नेताओं की कमी नहीं है जो लेखक, कला-प्रेमी या कलाकार रहे हों. लेखक तो खासतौर पर बहुत ज्यादा हुए हैं. वैसे भी नेताओं का कला से लगाव स्वाभाविक है क्योंकि नेतृत्व में मानवता के उच्चतम गुणों का होना आवश्यक है और कला वस्तुत: उसी की अभिव्यक्ति है. हाल ही […]

सुशांत झा

भारतीय राजनीति में ऐसे नेताओं की कमी नहीं है जो लेखक, कला-प्रेमी या कलाकार रहे हों. लेखक तो खासतौर पर बहुत ज्यादा हुए हैं. वैसे भी नेताओं का कला से लगाव स्वाभाविक है क्योंकि नेतृत्व में मानवता के उच्चतम गुणों का होना आवश्यक है और कला वस्तुत: उसी की अभिव्यक्ति है.

हाल ही में नरेंद्र मोदी ने भी कई किताबें लिखी है जिनमें ‘साक्षीभाव’ और कन्वेनिएंट एक्शन-गुजरात रिस्पांस टु चैलेंजेज ऑफ क्लाइमेट चेंज’ का नाम अहम है. साक्षीभाव नरेंद्र मोदी का एक संघ प्रचारक के रूप में लिखी उनकी डायरी का एक संकलन है. यों नरेंद्र मोदी कभी अपने लेखन के लिए मशहूर नहीं रहे हैं लेकिन राजनीति के जिस मुकाम पर वे पहुंच गए हैं उसमें उनके बारे में जानने की जिज्ञासा स्वाभाविक रूप से लोगों में जगती है. जहां तक लेखन की बात है तो भारतीय राजनीति के पितृपुरु षों मसलन महात्मा गांधी, नेहरू, पटेल, सुभाष और अम्बेडकर ने बेहतरीन रचनाएं लिखीं और उनमें से कुछ तो साहित्यिक कोटि की थी. जवाहरलाल नेहरु लिखित डिस्कवरी ऑफ इंडिया और ग्लिम्प्सेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री इसी कोटि की रचनाएं हैं.

समकालीन राजनेताओं की बात करें तो हमारे कई नेता अच्छे लेखक भी हैं. वीरप्पा मोईली को साल 2010 में रामायण पर लिखी उनकी पुस्तक के लिए मातृदेवी पुरस्कार मिला है. अटल बिहारी वाजपेयी को कविता लिखने का शौक था तो समकालीन राजनेताओं में ममता बनर्जी, कपिल सिब्बल को कविता लिखने का शौक है तो भूतपूर्व प्रधानमत्री नरिसंहा राव कई भाषाओं के ज्ञाता और लेखक थे.

कला की अन्य विधाओं मसलन पेंटिंग, मूर्तिकला या अभिनय में भी हमारे राजनेता पीछे नहीं रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह एक कुशल पेंटर थे तो शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे कार्टूनिस्ट थे. उनके भतीजे राज ठाकरे भी कार्टूनिस्ट हैं और उन्होंने तो मूर्तिकला में भी प्रशिक्षण लिया हुआ है.

शिरोमणि अकाली दल के नेता और राज्यसभा नरेश गुजराल एक बड़े फैशन डिजायनर भी हैं जो अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए फैब्रिक और फैशन की डिजायनिंग करते हैं. उन्होंने इंग्लैंड की राजकुमारी डायना के लिए भी परिधान डिजायन किया था.

भारत के पहले गवर्नर जनरल और कद्दावर स्वतंत्रता सेनानी राजगोपालाचारी तमिल लघुकथाएं लिखते थे और बाल कहानियां लिखते थे. उन्होंने महाभारत और रामायण को अंग्रेजी में दिलचस्प कहानियों के रूप में बच्चो के लिए लिखा. उन्होंने भक्ति गीत भी लिखे.

आजादी के समय में ज्यादातर बड़े नेता बड़े लेखक भी हुए जैसे महात्मा गांधी, नेहरु , राजेंद्र प्रसाद, अम्बेडकर आदि. उनमें से कई पत्रकार भी थे जिन्होंने कुशलतापूर्वक अखबार निकाला. महात्मा गांधी ने खुद कई अखबारों का प्रकाशन और संपादन किया. जहां तक अभिनय की बात है तो इस विधा से तो हमारे नेताओं का कुछ ज्यादा ही लगाव है. दक्षिण भारत के कई मुख्यमंत्री तो पहले फिल्मी सितारे ही थे. ऐसे नेताओं में एम जी रामचंद्रन, करु णानिधि, जयललिता, एन टी रामाराव जैसे कद्दावर नेताओ का नाम शामिल है. उत्तर भारत में भी कई नेता पहले अभिनेता रहे हैं. ऐसे नेताओं में राज बब्बर, हेमामालिनी, शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद खन्ना का नाम शामिल हैं. जाहिर है, हमारे नेता-गण कला से दूर नहीं हैं, हां ये बात जरूर है कि ज्यादातर नेताओं का ताल्लुक अभिनय या लेखन से

ही है.

– लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं

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