नयी दिल्ली: आप की नेता शाजिया इल्मी ने अपने बयान पर विवाद उत्पन्न होने के एक दिन बाद आज खुद का बचाव करना चाहा और कहा कि एक अनौपचारिक वार्ता के दौरान की गई उनकी टिप्पणी को उद्धृत किया जा रहा है और उनका लहजा मजाकिया था.
शाजिया ने कहा था कि मुस्लिमों को ‘‘अपनी भलाई के लिए सांप्रदायिक बनना चाहिए.’’उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह बयान एक अनौपचारिक बातचीत से लिया गया है. बयान के लहजे से स्पष्ट है कि मैं धर्मनिरपेक्ष एवं सांप्रदायिक शब्द का इस्तेमाल व्यंग्यात्मक लहजे में कर रही हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सीधी बात है कि मुस्लिम समुदाय ने लंबे समय से खुद का इस्तेमाल धर्मनिरपेक्ष दलों को करने दिया. समुदाय के लिए बेहतर है कि वे शिक्षा और बेरोजगारी जैसे अपनी जिंदगी के वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें.’’ इल्मी ने कहा कि उनके बयान को तोड मरोडकर पेश किया जा रहा है और इसका गलत मतलब निकाला जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह गौर करने की बात है कि मैं ऐसे उम्मीदवार के लिए वोट मांग रही हूं जो मुस्लिम नहीं है और उस नेता के नाम पर वोट मांग रही हूं जो मुस्लिम नहीं है. मुङो यह जानकर दुख है कि इस तरह के बयान को तोड मरोडकर पेश किया गया और इसका गलत मतलब निकाला गया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरी पार्टी और मैं हमेशा सांप्रदायिकता के खिलाफ हैं और मैं इसका विरोध करती रहूंगी.’’ इल्मी कल उस समय विवादों के केंद्र में आ गईं जब उनका बयान सामने आया कि मुस्लिमों को अपने हित के लिए ‘‘सांप्रदायिक’’ बन जाना चाहिए.
शाजिया कहती हैं, ‘मुसलमान बहुत सेक्युलर हैं. मुसलमानों को कम सेक्युलर होने की जरूरत है और अपनी भलाई के लिए उन्हें थोड़ा सांप्रदायिक भी होना चाहिए.’ वो यह भी कहती हैं, ‘मैं जानती हूं कि यह विवादास्पद है, लेकिन जरूरी है.’ ‘आप’ नेता मनीष सिसोदिया ने शाजिया के इस बयान की आलोचना की है. उन्होंने कहा, शाजिया का यब बयान गलत है. उन्हें ऐसा बयान नहीं देना चाहिए.