अमृतसर : भाजपा नेता अरुण जेटली ने आज कहा कि पिछले दशक में सीबीआई की विश्वसनीयता घटी है क्योंकि एजेंसी के निदेशक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को डराने के लिए सत्ताधारी पार्टी द्वारा नियंत्रित होते हैं.
जेटली ने कहा, पिछले 10 वर्षो में एजेंसी की विश्वसनीयता घटी है. एक संगठन के तौर पर सीबीआई पर उसके निदेशकों का पर्याप्त नियंत्रण होता है. निदेशकों का चुनाव सरकार की ओर से किया जाता है न कि किसी संतुलित चयन समिति द्वारा. उन्होंने कहा कि निदेशकों पर न केवल सरकार का बल्कि सत्तारुढ पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों का नियंत्रण होता है.
जेटली ने कहा,ऐसे कई मामले हैं जहां सरकार के करीबी व्यक्ति की मदद की गयी. उन्होंने कहा, इसी तरह से ऐसे मामले भी हैं जहां सरकार विरोधी लोगों को डराया गया. राजस्थान एवं गुजरात में भाजपा के खिलाफ दायर आरोपपत्र कायम रहने योग्य नहीं हैं. भाजपा नेता ने कहा कि दिल्ली में इन दिनों एक प्रमुख कारोबारी के खुलासों के संबंध में काफी अफवाहे हैं जिसने कई राजनीतिकों एवं अधिकारियों के लिए काम किया.
उन्होंने कहा कि इससे सीबीआई की विश्वसनीयता और कम होने की आशंका है चूंकि सीबीआई से जुडे कई प्रमुख नामों का इसमें जिक्र आया है.जेटली ने कहा, इस सूचना को पूरी तरह से सार्वजनिक करना अब जरुरी हो गया है. सभी लोगों को ईमानदार होना चाहिए. निश्चित तौर पर सीबीआई के अधिकारियों को अन्य लोगों से ईमानदार होना चाहिए.
उन्होंने जांच एजेंसी के संबंध में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की टिप्पणी की सराहना की. जेटली ने कहा, गोपाल गांधी को प्रति वर्ष सीबीआई की ओर से आयोजित किये जाने वाले डी पी कोहली स्मृति व्याख्यान को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था. सीबीआई की विधिक योजना के तहत कामकाज का आकलन करने के बाद गांधी ने सीबीआई को सरकार के डर्टी ट्रिक्स विभाग से जोड दिया.
इसे सीबीआई के अधिकारियों की अंतरात्मा को झकझोरना चाहिए. नरेंद्र मोदी के अभियान के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, मोदी को भाजपा के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार 13 सितंबर 2013 को घोषित किया गया था. इसके बाद से उन्होंने देशभर में 380 रैलियों को संबोधित किया. इसमें से अधिकांश रैली में कई लाख लोगों ने हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि पहले वह सोचते थे कि उत्साह पर थकान हावी हो सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके अलावा भी 3डी प्रारुप में 300 रैलियों को मोदी ने संबोधित किया है.