नयी दिल्ली:प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी ने एक पूर्व मीडिया सलाहकार द्वारा किये गये क्षति पहुंचाने वाले दावों का जवाब देते हुए शुक्रवार को कहा कि आर्थिक आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि पिछले दशक में अभूतपूर्व विकास दर्शाता है जो कि प्रधानमंत्री सिंह के ‘कमजोर’ होने पर असंभव होता.
पचौरी ने इस बात पर खेद जताया कि लोगों को सरकार की उपलब्धियों के सभी पहलुओं की जानकारी नहीं हो रही है क्योंकि मीडिया की ‘अलग प्राथमिकताएं’ हैं. उन्होंने यह दिखाने के लिए संवाददाताओं के समक्ष विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित आर्थिक आंकड़े रखे कि गत 10 वर्षों के दौरान प्रगति हुई है. पचौरी की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारु की पुस्तक ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर:द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’ में किये गये इस दावे की पृष्ठभूमि में आयी है कि कांग्रेस पार्टी ने सिंह को उनके दूसरे कार्यकाल में ‘अधिकारहीन’ कर दिया था तथा कैबिनेट में प्रमुख नियुक्तियों के बारे में फैसले सोनिया गांधी करती थीं.
प्रति व्यक्ति आय बढ़ी
पचौरी ने कहा, ‘जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय में गत 10 वर्षों के दौरान तीन गुना वृद्धि दर्ज की गयी है. गांवों में न्यूनतम मजदूरी में भी तीन गुना वृद्धि हुई है. यह दिखाता है कि सरकार लगातार काम कर रही है लेकिन लोगों को इस कार्य के बारे में जानकारी नहीं हो रही है क्योंकि मीडिया की अलग प्राथमिकताएं हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यदि प्रधानमंत्री कमजोर होते तो हमारे देश से संबंधित (आर्थिक) आंकड़े मजबूत नहीं होते. ’
10 साल में 1198 बार भाषण
उन्होंने इस धारणा का प्रतिरोध करने का प्रयास किया कि सिंह चुप रहते थे और कहा कि प्रधानमंत्री ने करीब 1198 भाषण दिये तथा कई प्रेस विज्ञप्तियां भी जारी की गयीं, लेकिन उनमें से अधिकतर अर्थव्यवस्था, विकास, कृषि, विज्ञान, शिक्षा आदि पर थीं. उन्होंने कहा, ‘औसतन प्रधानमंत्री हर तीन दिन में एक बार बोले..प्रधानमंत्री अपने भाषणों, प्रेस विज्ञप्तियों, मीडिया मुलाकातों में जिन चीजों पर बोलते हैं, उनमें से ज्यादातर दर्ज नहीं हैं.’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने राजनीति के बारे में सदन में बोलना पसंद किया लेकिन ‘संसद में उन विषयों पर बोलने के लिए बहुत मौके नहीं मिले जिन पर वह सदन में बोलना चाहते थे.’
मैं किताब नहीं लिख रहा
पचौरी ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘मैं कोई पुस्तक नहीं लिख रहा, मुङो एक पुस्तक लिखने की पेशकश की गयी थी, लेकिन मैंने मना कर दिया.’ यह पूछे जाने पर कि एक मीडिया सलाहकार की प्रधानमंत्री के पास कितनी पहुंच होती है, पचौरी ने कहा कि उन्हें जब भी जरूरत महसूस होती है वह सिंह के पास जा सकते हैं. पचौरी से पूछा गया कि क्या केंद्र सरकार ने देश में असमानताओं पर कोई अध्ययन कराया है.
भाजपा ने ली चुटकी
पचौरी के बयान पर चुटकी लेते हुए भाजपा ने कहा कि आजाद भारत में इससे पहले प्रधानमंत्री के पूर्व एवं वर्तमान मीडिया सलाहकारों के बीच ऐसा द्वंद्व कभी नहीं देखा गया. भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने यहां कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व सलाहकार संजय बारु की हाल में जारी पुस्तक से भाजपा के इन दावों की पुष्टि हुई है कि प्रधानमंत्री कार्यालय की फाइलें सोनिया गांधी देखती थीं और मनरेगा जैसी योजनाओं का श्रेय मनमोहन सिंह की बजाय राहुल गांधी को देने का दबाव बनाया जाता था.