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गौरी लंकेश हत्याकांड: संदिग्धों के स्केच जारी, एसआईटी ने लोगों से मांगी मदद

बेंगलुरू : गौरी लंकेश हत्याकांड मामले में पुलिस ने शनिवार को संदिग्धों के स्केच और रेकी करने का विडियो जारी किया और लोगों से मदद मांगी. स्केच जारी करने के क्रम में एसआईटी ने कहा कि संदिग्धों के धर्म को तिलक और कान की बाली के आधार पर नहीं तय किया जा सकता है, क्योंकि […]

बेंगलुरू : गौरी लंकेश हत्याकांड मामले में पुलिस ने शनिवार को संदिग्धों के स्केच और रेकी करने का विडियो जारी किया और लोगों से मदद मांगी. स्केच जारी करने के क्रम में एसआईटी ने कहा कि संदिग्धों के धर्म को तिलक और कान की बाली के आधार पर नहीं तय किया जा सकता है, क्योंकि ऐसा भ्रमित करने के उद्देश्‍य से भी किया जा सकता है.

एसआईटी ने कहा कि उनके द्वारा केस से जुड़े 200-250 लोगों से पूछताछ की जा चुकी है. आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने गुरुवार को भोपाल में शुरू हुई अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की तीन दिवसीय बैठक में वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश सहित समाज के अन्य जानेमाने लोगों के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया था.

गौरतलब है कि चार अज्ञात हमलावरों ने राज राजेश्वरी इलाके में स्थित गौरी लंकेश के घर के बाहर उन पर काफी करीब से गोलियां चलायी, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गयी थी. गौरी लंकेश साप्ताहिक मैग्जीन ‘लंकेश पत्रिके’ की संपादक थीं. यही नहीं वह अखबारों में कॉलम भी लिखती थीं. लंकेश के दक्षिणपंथी संगठनों से वैचारिक मतभेद थे.

जानें गौरी लंकेश के बारे में कुछ खास बातें

पिता से ली पत्रकारिता की दीक्षा
वर्ष 1962 में जन्मीं गौरी कन्नड़ पत्रकार और कन्नड़ साप्ताहिक टैबलॉयड ‘लंकेश पत्रिका ‘ के संस्थापक पी लंकेश की बेटी थीं. उनकी बहन कविता और भाई इंद्रजीत लंकेश फिल्म और थियेटर हस्ती हैं. अपने भाई और पत्रिका के प्रोपराइटर तथा प्रकाशक इंद्रजीत से मतभेद के बाद उन्होंने लंकेश पत्रिका के संपादक पद को छोड़कर 2005 में कन्नड टैबलॉयड ‘गौरी लंकेश पत्रिका ‘ की शुरुआत की थी.

एक एक्टिविस्ट पत्रकार

गौरी ने खुद को एक्टिविस्ट पत्रकार बताया था. उन्होंने तमाम विवादों के बावजूद कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया. भाजपा सांसद प्रह्लाद जोशी और पार्टी पदाधिकारी उमेश दोषी द्वारा दायर मानहानि मामले में पिछले वर्ष हुबली के मजिस्ट्रेट की अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया था जिन्होंने 23 जनवरी 2008 को उनकी पत्रिका में प्रकाशित एक खबर पर आपत्ति जतायी थी. गौरी समाज की मुख्य धारा में लौटने के इच्छुक नक्सलियों के पुनर्वास के लिए काम कर चुकी थीं और राज्य में सिटीजंस इनिशिएटिव फॉर पीस (सीआईपी) की स्थापना करने वालों में शामिल रही थीं. गौर लंकेश कर्नाटक सरकार द्वारा नक्सलियों के समर्पण के लिए वार्ता हेतु बनायी गयी कमेटी की सदस्य भी थीं.

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