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गुजरात दंगा : मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ दायर याचिका खारिज, जाफरी को उचित फोरम में जाने की अनुमति

अहमदाबाद : वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में बड़े षड्यंत्र के आरोप में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल द्वारा क्लीन चिट दिये जाने के फैसले को बरकरार रखने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देनेवाली जाकिया जाफरी की अपील गुरुवारको गुजरात उच्च न्यायालय ने खारिज […]

अहमदाबाद : वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में बड़े षड्यंत्र के आरोप में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल द्वारा क्लीन चिट दिये जाने के फैसले को बरकरार रखने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देनेवाली जाकिया जाफरी की अपील गुरुवारको गुजरात उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी. हालांकि, जाकिया के बेटे ने इस फैसले को अपनी जीत बताया, क्योंकि अदालत ने याचिकाकर्ताओं को पुन: जांच की मांग करने के लिए एक उचित फोरम पर जाने की अनुमति दे दी.

न्यायमूर्ति सोनिया गोकनी ने जाकिया की इस दलील को खारिज कर दिया कि मोदी, कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और नौकरशाह एक बड़ी साजिश में शामिल थे. न्यायाधीश ने कहा कि पूर्व आइपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की याचिका पर उच्चतम न्यायालय अपने 2015 के आदेश पर पहले ही विचार कर चुका है. उच्च न्यायालय ने कहा कि शीर्ष अदालत ने बड़े षड्यंत्र के संबंध में दलीलों पर विचार किया था और उन्हें खारिज कर दिया था.

न्यायमूर्ति गोकनी ने कहा कि विशेष जांच दल (एसआइटी) द्वारा की गयी जांच पर उच्चतम न्यायालय ने निगरानी भी रखी थी. हालांकि, उच्च न्यायालय ने आगे जांच के संबंध में जाकिया जाफरी की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार किया. उसने कहा कि निचली अदालत ने यह कहते हुए खुद को सीमित रखा कि उसे आगे जांच का आदेश देने से संबंधित सीमित अधिकार हैं. उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता इस मामले की आगे की जांच के लिए किसी उचित फोरम पर जा सकते हैं जिनमें मजिस्ट्रेटी अदालत, उच्च न्यायालय की खंडपीठ या उच्चतम न्यायालय की पीठ शामिल है.

कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद दिवंगत एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड के एनजीओ सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस ने मोदी और अन्य लोगों को एसआईटी द्वारा क्लीनचिट देने के फैसले को बरकरार रखने के मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ आपराधिक पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. याचिका में अनुरोध किया गया था कि मोदी और पुलिस तथा प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों सहित 59 अन्य लोगों को उस कथित षड्यंत्र में संलिप्तता का आरोपी बनाया जाये, जिसके कारण दंगे हुए थे. इस याचिका में उच्च न्यायालय से मामले की जांच नये सिरे से कराने का आदेश देने का भी अनुरोध किया गया था.

गुजरात के गोधरा में ट्रेन की बोगियां जलाये जाने की घटना के एक दिन बाद 28 फरवरी, 2002 को भीड ने अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी पर हमला कर दिया था, जिसमें कांग्रेस नेता एहसान जाफरी सहित 68 लोग मारे गये थे. ट्रेन में आगजनी की घटना के बाद गुजरात में दंगे हो गये थे. विशेष जांच दल ने आठ फरवरी, 2012 को यह मामला बंद करने के लिये दाखिल अपनी रिपोर्ट में मोदी और अन्य लोगों को क्लीन चिट दी थी. दिसंबर, 2013 में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने रिपोर्ट के खिलाफ जाकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद जाकिया 2014 में उच्च न्यायालय पहुंचीं थीं.

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