नयी दिल्ली:अप्रवासी भारतीयों को आम चुनाव के दौरान इंटरनेट के जरिये मत देने की उम्मीदों पर शुक्रवार को उस समय पानी फिर गया, जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस समय कोई भी अंतरिम राहत देने से समस्याएं पैदा हो सकती हैं. शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग के इस तर्क पर ध्यान दिया कि 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 104 लोक सभा सीटों के लिए पहले ही मतदान हो चुका है. ऐसी स्थिति में याचिकाकर्ताओं को किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी जा सकती. न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन व न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन की खंडपीठ ने कहा कि चुनाव के बाद क्या यह संभव है? क्या इससे नयी परेशानियां पैदा नहीं होंगी. इस मामले में अब अगस्त के अंत में सुनवाई होगी.
विस्तार से करेंगे विचार : हालांकि, न्यायालय ने पंजीकृत प्रवासी भारतीयों को इलेक्ट्रॉनिक पद्धति के माध्यम से मताधिकार देने की मांग पर विस्तार से विचार करने का निश्चय किया. न्यायालय ने नोटिस जारी किये और केंद्र तथा निर्वाचन आयोग से कहा कि एक महीने के भीतर इस मामले में जवाबी हलफनामे दाखिल किये जाएं. रिपोर्ट करें पेश : न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को प्रवासी भारतीयों के लिए मतदान हेतु उपलब्ध विकल्पों के अध्ययन के लिए गठित समिति की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. न्यायालय ने सात अप्रैल को निर्वाचन आयोग से कहा था कि इन चुनावों में विदेशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों को इंटरनेट के माध्यम से मत देने की संभावना तलाशी जाये.