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देश में ढाई करोड मकानों की कमी, वहीं खाली पडे हैं 1.1 करोड मकान

नयी दिल्ली: शहरी विकास सचिव सुधीर कृष्ण ने आज कहा कि देश में एक तरफ जहां 2.5 करोड मकान की कमी है वहीं एक गणना के अनुसार 1.1 करोड मकान खाली पडे हैं. इनमें से 10 प्रतिशत मकान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हैं. रीयल्टी क्षेत्र के लिये मानक तय करने वाला वैश्विक निकाय आरआईसीएस द्वारा […]

नयी दिल्ली: शहरी विकास सचिव सुधीर कृष्ण ने आज कहा कि देश में एक तरफ जहां 2.5 करोड मकान की कमी है वहीं एक गणना के अनुसार 1.1 करोड मकान खाली पडे हैं. इनमें से 10 प्रतिशत मकान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हैं. रीयल्टी क्षेत्र के लिये मानक तय करने वाला वैश्विक निकाय आरआईसीएस द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में कृष्ण ने कहा कि केंद्र मकानांे की आपूर्ति बढाने के लिए किराया कानून पर फिर से ध्यान दे रही है. उन्होंने सुझाव दिया कि चाहे सरकार या फिर निजी कंपनियां हों, उनके द्वारा विकसित रीयल एस्टेट परियोजनाओं को रखरखाव मकसद से स्थानीय नगर निकायों के हवाले कर दिया जाना चाहिए.

सचिव ने कहा, ‘‘एक अनुमान के अनुसार हमारे पास 2.5 करोड मकानों की कमी है. एक अन्य अनुमान के मुताबिक यह 1.9 से 2.0 करोड इकाई हैं. वहीं दूसरी तरफ 2011 की गणना के अनुसार 1.1 करोड मकान खाली पडे हैं.’’ कृष्ण ने यह भी कहा कि खाली पडे और बिना कब्जे वाले खाली पडे कुल मकानों का 10 प्रतिशत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में है.

केंद्र ने 12वीं पंचवर्षीय योजना :2012-17: की शुरआत में 1.88 करोड मकानों की कमी का अनुमान जताया था. इनमें से 90 प्रतिशत से ज्यादा कमी ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रुप से कमजोर तबका) तथा एलआईजी खंड में है. शहरीकरण की धीमी प्रक्रिया पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि कम-से-कम 70 प्रतिशत आबादी को शहरी क्षेत्र में रहना चाहिए.

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