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अपने खोए किला को फिर से फतह करने की निखिल कुमार की पुरजोर कोशिश

औरंगाबाद: वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में हार से अविचलित पूर्व दिल्ली पुलिस प्रमुख और कांग्रेस उम्मीदवार निखिल कुमार राजद के साथ गठबंधन की मदद से अपने पिता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत सत्येंद्र नारायण सिन्हा जो देश की आजादी के बाद सात बार औरंगाबाद लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं उसे फिर […]

औरंगाबाद: वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में हार से अविचलित पूर्व दिल्ली पुलिस प्रमुख और कांग्रेस उम्मीदवार निखिल कुमार राजद के साथ गठबंधन की मदद से अपने पिता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत सत्येंद्र नारायण सिन्हा जो देश की आजादी के बाद सात बार औरंगाबाद लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं उसे फिर से हासिल करने की पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं.

पिछले लोकसभा चुनाव में जदयू प्रत्याशी सुशील कुमार सिंह के हाथांे पराजित सिन्हा का मुकाबला इस बार भी सुशील से है. लेकिन इस बार इतना ही अंतर है कि वे इस बार जदयू के बजाय भाजपा के टिकट पर चुनाव लड रहे हैं.निखिल हालांकि इस बार लालू प्रसाद की पार्टी राजद के साथ हुए गठबंधन का लाभ मिलने के प्रति आशांवित हैं, लेकिन बिहार में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के बढते समर्थन से उनकी जीत की राह के कठिनाईयों भरी होने की संभावना है.

लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण में बिहार की नक्सल प्रभावित छह संसदीय सीटें जिसमें औरंगाबाद भी शामिल है, जहां कल मतदान होगा. औरंगाबाद सीट के लिए कल होने वाले मतदान में निखिल और सुशील सहित कुल 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे हैं.राजपूत समुदाय बहुल औरंगाबाद में कुल मतदाताओं की संख्या 1535514 है जिनमें 829534 पुरुष और 705930 महिला शामिल हैं. निखिल और सुशील दोनों राजपूत समुदाय से आते हैं और औरंगाबाद चुनावी मैदान में वे एक-दूसरे के पुराने विरोधी रहे हैं.

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