नयी दिल्ली : पिता अजय चौटाला और दादा ओम प्रकाश चौटाला के सलाखों के पीछे होने के बीच इंडियन नेशनल लोकदल के हिसार से उम्मीदवार और लारेंस स्कूल , स्नावर से शिक्षित दुष्यंत चौटाला के लिए इस बार के लोकसभा चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं हैं. ऐसी संकट की घडी में दुष्यंत अपने चाचा और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ गहन प्रचार अभियान में जुटे हैं.
26 वर्षीय दुष्यंत संसदीय चुनाव में ऐसे समय में पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं जब उनके कंधों पर अपने परदादा देवीलाल द्वारा स्थापित पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल में फिर से नई जान फूंकने की दुरुह जिम्मेदारी है. और वह भी ऐसे समय में जब उनके पिता और दादा जूनियर बेसिक ट्रेन्ड : जेबीटी : टीचर घोटाले में जेल में बंद हैं. कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट और लंदन के रीजेंट्स कालेज से एमबीए : ग्लोबल मैनेजमेंट : की पढाई कर रहे दुष्यंत का मुकाबला हरियाणा जनहित कांग्रेस से मौजूदा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई से है. यहां कांग्रेस के संपत सिंह और नौकरशाह से नेता बने आप के युद्धवीर सिंह भी मैदान में हैं. हिसार सीट पर माकपा ने फूलसिंह श्योकंद और बसपा ने मांगेराम वर्मा को उम्मीदवार बनाया है. उन्होंने कहा, ‘‘ यह मेरी जिंदगी का पहला चुनाव है और मेरे पिता तथा दादा दोनों जेल में हैं. ’’ हालांकि वह इसे हरियाणा की भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सरकार की ‘‘साजिश’’ बताना नहीं भूलते. दुष्यंत कहते हैं, ‘‘ यह बहुत सही है कि इस समय , मुझे उनकी कमी बेहद खल रही है लेकिन मैं अपनी चुनावी रणनीतियां उनके निर्देशन में ही बना रहा हूं.’’ उनके चाचा अभय चौटाला और परिवार के अन्य सदस्य दुष्यंत के चुनाव प्रचार अभियान में उनकी मदद कर रहे हैं.
हालांकि इनेलो पिछले एक दशक से सत्ता से बाहर है लेकिन देवीलाल के चौटाला परिवार को बेहद मजबूत जाट समर्थन के साथ राज्य की राजनीति में आज भी बहुत शक्तिशाली माना जाता है. राजनीति में अपने आदर्श पुरुष संबंधी सवाल पर, राजनीति में चौटाला खानदान की चौथी पीढी के प्रतिनिधि दुष्यंत कहते हैं, ‘‘मेरा परिवार ही राजनीतिक रुप से इतना जुझारु रहा है कि मुङो कहीं और आदर्श तलाशने की जरुरत ही नहीं है. ’’ वह कहते हैं, ‘‘ निश्चित रुप से मेरे परदादा चौधरी देवीलाल मेरे आदर्श हैं. मैं अपने दादा चौधरी ओम प्रकाश चौटाला से भी बहुत प्रभावित हूं. वह एक सरल और सीधे इंसान हैं जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर पार्टी को एक नए मुकाम पर पहुंचाया.’’ दुष्यंत के परदादा चौधरी देवीलाल 1977 से 1979 और 1987 से 1989 तक दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे और बाद में वह वी पी सिंह की सरकार में 1989 से 1991 तक देश के उप प्रधानमंत्री भी बने.
अपने नामांकन पत्रों में दुष्यंत ने नौ करोड रुपये से अधिक की चल संपत्ति और 26 करोड रुपये से अधिक की अचल संपत्ति घोषित की है. एक सवाल पर वह कहते हैं कि उनके परदादा द्वारा स्थापित की गयी पार्टी इनेलो को एक ‘‘मजबूत संगठन के रुप में आगे ले जाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है’’ जिसकी स्थापना उनके परदादा ने राज्य के लोगों और किसानों की सेवा के लिए की थी.’’दुष्यंत कहते हैं, ‘‘ पार्टी में कार्यकर्ता उसका आधार होता है. कोई भी पार्टी केवल अपने मजबूत कार्यकर्ता आधार पर ही मुकाबले में सफल होती है और इनेलो इस मामले में भाग्यशाली है.’’ फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल साइट्स के जरिए वह लगातार अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के न केवल संपर्क में रहते हैं बल्कि उनसे प्रदेश की समस्याओं और उनके संभावित समाधानों पर भी चर्चा करते हैं.
इनेलो की चुनावी संभावनाओं के बारे में सवाल किए जाने पर दुष्यंत पूर्ण विश्वास के साथ कहते हैं, ‘‘ निश्चित रुप से , हम लोकसभा की सभी दस सीटें जीतेंगे.’’ इन दिनों दुष्यंत अपने हिसार निर्वाचन क्षेत्र में धुआंधार चुनाव प्रचार अभियान में जुटे हैं जो उचाणा कलां , आदमपुर, उकलाना, नारनौंद, हांसी , बरवाला, हिसार , नलवा , बवानी खेडा समेत नौ शहरों तक फैला हुआ है. हरियाणा में हिसार सबसे छोटा निर्वाचन क्षेत्र है हालांकि यह पूरे हिसार के साथ ही भिवानी और जींद जिलों तक फैला है. इस सीट पर कुल 15, 17, 606 मतदाता हैं जिनमें से 8, 26, 810 पुरुष और 6, 90, 796 महिलाएं हैं.