नयी दिल्ली : निर्वाचन आयोग ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि प्रवासी भारतीयों को इंटरनेट के माध्यम से मतदान की सुविधा प्रदान करने की संभावना तलाश रहा है. न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि आसन्न आम चुनाव में विदेशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों के लिए मतदान की व्यवस्था करना लगभग असंभव है क्योंकि लगभग सभी निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची तैयार हो चुकी है.
न्यायालय ने निर्वाचन आयोग से कहा कि इस चुनाव में भी प्रवासी भारतीयों के लिए कुछ व्यवस्था की जाये. न्यायाधीशों ने कहा, आपके पास अभी भी समय है. न्यायाधीशों ने सवाल किया कि खुद को मतदाता के रुप में पंजीकृत कराने वाले प्रवासी भारतीय को डाक मत के जरिये मतदान की सुविधा दी जा सकती है.
न्यायाधीशों ने कहा, आप 11844 पंजीकृत प्रवासी भारतीयों के बारे में कोई रास्ता क्यों खोजते. निर्वाचन आयोग ने कहा कि उसने विदेशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों को मतदान की सुविधा देने की संभावना तलाशने के लिये एक समिति गठित की गयी है. इस पर न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को इस बारे में सुनवाई की अगली तारीख 11 अप्रैल तक अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया.
न्यायालय प्रवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार प्रदान करने के लिये प्रवासी भारतीय शमशीर वीपी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिका में दलील दी गयी है कि प्रवासी मतदाता के लिये मतदान करने हेतु निर्वाचन क्षेत्र में व्यक्तिगत रुप से उपस्थिति का प्रावधान पक्षपात पूर्ण और मौलिक अधिकारों का हनन करने वाला है.
याचिका में कहा गया है कि यदि प्रवासी भारतीयों को विदेश से ही मतदान की सुविधा प्रदान की गयी तो 1,00,37,761 लोग मतदान करने के हकदार होंगे. याचिका के अनुसार 114 देशों ने बाहर से ही मतदान की प्रक्रिया को अपनाया है. इसमें 20 एशियाई देश हैं.
शमशीर 12 साल पहले अरब अमीरात चले गये थे. इससे पहले वह केरल के कालीकट में पंजीकृत मतदाता थे लेकिन बाद में प्रवासी भारतीय होने के कारण मतदाता सूची से उनका नाम हटा दिया गया था.