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अखिलेश-डिम्पल को बाल विवाह मामले में कोर्ट से राहत

जबलपुर (मप्र) : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं उनकी सांसद पत्नी डिम्पल यादव और दो अन्य विधायकों के विरुद्ध दायर सामूहिक बाल विवाह कराने वाली याचिका को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने कल खारिज कर दिया. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर एवं न्यायमूर्ति के के त्रिवेदी की खंडपीठ ने राज्य सरकार […]

जबलपुर (मप्र) : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं उनकी सांसद पत्नी डिम्पल यादव और दो अन्य विधायकों के विरुद्ध दायर सामूहिक बाल विवाह कराने वाली याचिका को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने कल खारिज कर दिया.

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर एवं न्यायमूर्ति के के त्रिवेदी की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा पेश की गई रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद अखिलेश एवं उनकी पत्नी डिम्पल, उत्तर प्रदेश के विधायक दीप नारायण यादव और मध्यप्रदेश में उनकी विधायक पत्नी मीरा यादव के खिलाफ टीकमगढ निवासी गयादीन अहिरवार की तरफ से दायर जनहित याचिका को कल खारिज कर दिया.

खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि डॉक्टरों की रिपोर्ट पर संदेह नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा उसने माना है कि उम्र संबंधी पेश की गई अंक सूचियों की विश्वसनीयता भी संदेह में है. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश किए गए जवाब में बताया गया है कि जिन लडकियों के बाल विवाह किए जाने के आरोप याचिका में लगाए गए हैं, चिकित्सकीय जांच में वे बालिग पाई गई हैं.

अहिरवार की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि टीकमगढ़ जिले के ग्राम निवारी में समाजवादी पार्टी की क्षेत्रीय विधायक मीरा यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं उनकी पत्नी डिम्पल के आतिथ्य में सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन नौ मार्च 2013 को कराया था, जिसमें लगभग 25 नाबालिग जोडों सहित 136 जोडों का विवाह कराया गया.

याचिकाकर्ता ने कहा था कि इस संबंध में उसने आयोजकों के समक्ष आपत्ति भी दर्ज कराई थी, लेकिन उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. अहिरवार ने याचिका में यह भी कहा था कि जब वह सम्मेलन के दिन संबंधित थाने में दस्तावेजों के साथ शिकायत दर्ज कराने गया, तो थाना प्रभारी ने शिकायत दर्ज करने और बाल विवाह रोकने की बजाय उसे वहां से भगा दिया था. इसके बाद उसने दस्तावेजों के साथ लिखित शिकायत स्पीड पोस्ट से उसी दिन जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से की थी.

उन्होंने याचिका में यह भी कहा था कि क्षेत्रीय विधायक मीरा यादव के पति दीप नारायण यादव समाजवादी पार्टी से झांसी के विधायक हैं. उनका क्षेत्र में रसूख है, इसलिए उसकी शिकायत पर जिला एवं पुलिस प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की.

सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रुप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं उनकी सांसद पत्नी डिम्पल यादव भी मौजूद थीं. बाल विवाह प्रतिक्षेपण अधिनियम के तहत नाबालिगों का विवाह कराना एवं विवाह में शामिल होना अपराध की श्रेणी में आता है.

याचिका में मांग की गई थी कि मुख्यमंत्री अखिलेश, सांसद डिम्पल यादव, विधायक दीप नारायण यादव और विधायक मीरा यादव के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए. याचिका के साथ इन सबके कार्यक्रम में उपस्थित होने तथा विवाहित 10 जोडों के नाबालिग होने के दस्तावेज के रुप में उनकी अंक सूची भी प्रस्तुत की गई थी.

याचिका पर कल हुई सुनवाई के दौरान खंपीठ को बताया गया कि याचिका में जिन लड़कियों के नाबालिग होने का आरोप लगाया गया था, उनकी मेडिकल जांच के लिए डॉक्टरों की कमेटी गठित की गई थी. कमेटी की जांच रिपोर्ट में वे बालिग पाई गई हैं. इतना ही नहीं, उनके अभिभावकों ने हलफनामा देकर बताया है कि उन्होंने ही अपने स्तर पर स्कूल में उनकी जन्मतिथि लिखाई थी.

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