नयी दिल्ली : जब आप मेट्रो स्टेशन पहुंचते हैं तो खिला कमल आपका स्वागत करता नजर आता है और जब आप सड़क पर खड़े होते हैं तो विज्ञापन पट्टिका पर बना विशाल हाथ आपका स्वागत करता नजर आता है, वहीं झाडू के जरिए सत्ता परिवर्तन के लिए मतदान की अपील नजर आ जाती है. इस तरह की कई तरकीबों और ध्यान खींचने वाले विज्ञापनों के जरिये राजनीतिक दल मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
इस चुनाव में टेलीविजन, आउटडोर मीडिया, सोशल मीडिया और नुक्कड नाटकों के जरिए धुंआधार प्रचार प्रचार किया जा रहा है. चुनाव प्रचार के इस दौर में चुनाव से संबंधित कई आकर्षक विज्ञापनों और गीतों ने रेडियो को भी दोबारा जीवंत बना दिया है.
रेडियो का श्रोता वर्ग देश में करीब 15.8 करोड का है और इसलिए राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने और ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए रेडियो गीत और विज्ञापन के निर्माण के लिए निजी फर्मों से संपर्क कर रहे हैं.
रेडियो के 15.8 करोड श्रोताओं में से 10.6 करोड़ श्रोता एफएम रेडियो स्टेशनों को सुनते हैं. भारत के 86 शहरों में लगभग 245 निजी एफएम स्टेशन हैं जिनमें दस राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ही हैं.
सुबह 7-11 बजे और शाम 5-9 बजे के बीच रेडियो सुनने वालों की संख्या अधिक रहती है और यही कारण है कि इन दोनों समय में रेडियो पर राजनीतिक विज्ञापनों की बाढ़ सी आ जाती है.