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अमेरिका के बदले सुर,मोदी में रुचि बढ़ी

नयी दिल्ली:अमेरिका ने गोधरा कांड के बाद के हुए दंगों को अपनी नीति का आधार बना कर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘अंतरराष्ट्रीय तौर’ पर बैन लगा दिया था. उन्हें वीजा न देने के लिए तरह-तरह के तर्क गढ़े गये, लेकिन अब वही अमेरिका मोदी को खुश करने के अभियान में जुटा है. पिछले […]

नयी दिल्ली:अमेरिका ने गोधरा कांड के बाद के हुए दंगों को अपनी नीति का आधार बना कर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘अंतरराष्ट्रीय तौर’ पर बैन लगा दिया था. उन्हें वीजा न देने के लिए तरह-तरह के तर्क गढ़े गये, लेकिन अब वही अमेरिका मोदी को खुश करने के अभियान में जुटा है.

पिछले कुछ महीनों से मोदी की मिजाजपुर्सी में अमेरिका की रुचि कुछ ज्यादा ही बढ़ी है. ऐसा लगता है कि अमेरिका को आभास है कि अब भविष्य में उसे मोदी से ही काम पड़ेगा और वे ही उसके तारनहार होंगे. एक रिपोर्ट के मुताबिक अमरीका भारत में एक नये राजदूत को तैनात करने की योजना रखता है, ताकि वह नयी सरकार के साथ मिल कर काम कर सके. इस काम के लिए अमेरिका किसी राजनयिक की बजाय राजनेता को तैनात कर सकता है.

फिलहाल देवयानी प्रकरण और इसके बाद के अमेरिकी रुख से राष्ट्रपति बराक ओबामा को लगने लगा है कि दोनों देशों के संबंधों में आयी तल्खी को दूर करने के लिए 16 मई (भारत में आम चुनावों के परिणाम सामने आने के दिन) या इसके बाद कोई महत्वपूर्ण घोषणा कर सकता है. इस मामले में सबसे अहम बात है कि अमेरिका को अब लग रहा है कि यहां मोदी की सरकार बन सकती है और उनके अमेरिका आने पर लगी रोक से दोनों देशों के पारस्परिक संबंधों में दरार आना तय है. भाजपा के एक नेता का कहना कि इन सबसे पहले नैंसी पॉवेल का हटना तय है क्योंकि वे मोदी के प्रति बहुत ठंडा रुख रखती रही हैं. ऐसा भी माना जा रहा है कि पॉवेल ने अमेरिका को मोदी पर लगे वीजा बैन को हटने नहीं दिया, जबकि अन्य पश्चिमी देशों ने यह कदम उठा लिया.

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