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राष्ट्र के सभी अंगों को अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर काम करना चाहिए

नयी दिल्ली: न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर जोर देते हुए सीबीआई निदेशक रणजीत सिन्हा ने आज कहा कि राष्ट्र के सभी अंगों को अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर रहते हुए काम करना चाहिए और दूसरों के कामकाज में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए. सिन्हा ने कहा कि नागरिकों के जीवन के अधिकार, स्वतंत्रता और सम्मान की […]

नयी दिल्ली: न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर जोर देते हुए सीबीआई निदेशक रणजीत सिन्हा ने आज कहा कि राष्ट्र के सभी अंगों को अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर रहते हुए काम करना चाहिए और दूसरों के कामकाज में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए.

सिन्हा ने कहा कि नागरिकों के जीवन के अधिकार, स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा तथा कार्यपालिका के कदमों की स्वेच्छाचारिता से नागरिकों की रक्षा के लिए संविधान द्वारा स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना की गयी.

सीआईआई की दो दिवसीय वार्षिक बैठक के अंतिम दिन अपने भाषण में सिन्हा ने कहा, ‘‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता हमारे लोकतंत्र की आधारशिलाओं में से एक है. हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए हर आवश्यक कदम उठाया जाना चाहिए.’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह कार्य संविधान द्वारा विभिन्न प्राधिकारों में प्रतिस्थापित अधिकारों के सूक्ष्म संतुलन को बनाए रखते हुए किया जाना चाहिए. यह महत्वपूर्ण है कि राष्ट्र का हर अंग अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर रहते हुए काम करे और कोई भी दूसरों को दिए गए काम को अपने हाथों में ना ले.’’ सिन्हा ने जनता और सरकार के बीच ‘‘विश्वास की कमी’’ को भी दूर करने की जरुरत पर बल दिया.

सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने कहा, ‘‘संसदीय लोकतंत्र में, सुशासन की सबसे बडी चुनौती लोगों की अपेक्षाओं और वितरण तंत्र की प्रभाविता के बीच के अंतर को पाटना होता है.’’ उन्होंने कहा कि मेरी नजर में जो सबसे पहला सुधार होना चाहिए वह है विश्वास की कमी की समस्या का हल निकालना.

सिन्हा ने कहा, ‘‘उपनिवेशी प्रशासनिक तंत्र और प्रक्रियाओं में योजनाओं को लागू करने वाले अधिकारियों के प्रति विश्वास की कमी है. प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियां केंद्रीयकृत हैं और निर्णय लेने की प्रक्रिया बहुत जटिल और समयसाध्य है.’’ रेखांकित करते हुए कि इस क्षेत्र में सीवीसी और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है, सिन्हा ने कहा, ‘‘देश बहुत अपेक्षाओं और आशा के साथ लोकपाल का इंतजार कर रहा है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि इन संस्थाओं को हर वक्त, किसी भी कीमत पर अपनी सत्यनिष्ठा और निष्पक्ष होने की छवि को बनाए रखना होगा.’’

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