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जंग हुई, तो 20 दिन भी नहीं टिक पायेगी भारतीय सेना

भारतीय सेना के पास हथियारों की भारी किल्लत, तैयारियां प्रभावित चीन के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी भारतीय सेना हथियारों की भीषण कमी से जूझ रही है. यह कमी टैंक, हवाई सुरक्षा इकाई और तोपखाने से लेकर छोटे-छोटे जरूरत के सामानों की है. नौसेना, थल सेना, वायु सेना, इनफेंट्री और तोपखाना यूनिटों में कमोबेश […]

भारतीय सेना के पास हथियारों की भारी किल्लत, तैयारियां प्रभावित

चीन के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी भारतीय सेना हथियारों की भीषण कमी से जूझ रही है. यह कमी टैंक, हवाई सुरक्षा इकाई और तोपखाने से लेकर छोटे-छोटे जरूरत के सामानों की है. नौसेना, थल सेना, वायु सेना, इनफेंट्री और तोपखाना यूनिटों में कमोबेश एक ही तरह की स्थिति है.यहां तक कि पैदल सेना के पास भी जरूरी साजो-सामान की भारी कमी है.

सेना के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले पर फिलहाल कुछ बोलना नहीं चाहते. एक अंगरेजी अखबार की एक खबर के मुताबिक, अगर देश में युद्ध जैसी कोई स्थिति पैदा हुई, तो उससे निबटने के लिए भारतीय सेना के पास महज 20 दिनों के हथियारों का शेष है.

नियम के मुताबिक, सेना के पास उतने साजो-सामान (वॉर वेस्टेज रिजर्व) होने चाहिए कि अगर युद्ध जैसे हालात पैदा हों, तो कम से कम 40 दिनों तक आराम से लड़ा जा सके, जिसमें से 21 दिन उन हथियारों को चिह्न्ति कर रखा जाता है, जो सिर्फ भंडार और उपयोग होने की अवधि तक काम आ सकें. लेकिन, हाल ही में सेना प्रमुख जनरल बिक्र म सिंह ने कहा था कि अगर नये हथियारों के लिए सही बजट मिलता है, तो सेना के पास 50 प्रतिशत वॉर वेस्टेज रिजर्व (डब्ल्यूडब्ल्यूआर) होगा और 2015 से ट्रेनिंग के लिए सेना के पास पर्याप्त गोला बारूद होगा. इससे साफ है कि अगर आज युद्ध हो जाये, तो सेना मौजूदा गोला-बारूद के साथ 20 दिन तक लगातार लड़ नहीं सकती.उम्मीद की जा रही है कि 2019 तक ही सेना के पास 100 प्रतिशत डब्ल्यूडब्ल्यूआर होगा.

पहले भी उठा था मामला

सेना के पास हथियारों की कमी का मामला काफी पुराना है. और यह मुद्दा पहले भी उठाया जा चुका है. पूर्व सेना प्रमुख और फिलहाल भाजपा नेता बन चुके जनरल वीके सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान इस मामले को जोर-शोर से उठाया था. जनरल सिंह ने इस बारे में प्रधानमंत्री को गोपनीय पत्र लिखा था, जो मीडिया में लीक हो गया था और इसको लेकर काफी विवाद हुआ था. अपने पत्र में जनरल सिंह ने कहा था कि सेना के तोपों का गोला-बारूद खत्म हो चुका है. पैदल सेना के पास हथियार नहीं हैं.

वायुसेना के साजो-समान पुराने पड़ चुके हैं. मैं यह सूचित करने को मजबूर हूं कि सेना की मौजूदा हालत कतई संतोषजनक नहीं है. बाद में रक्षा मंत्री एके एंटनी ने स्वीकार किया था कि उन्हें जनरल के पत्र की जानकारी है. संसद में इस पर बयान देते हुए एंटनी ने कहा था कि सरकार देश की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठा रही है और देश की सैनिक तैयारियां मजबूत हैं.

मिसाइल कार्यक्रम

अग्नि-3 व सागरिका-लंबी रेंज वाली बैलेस्टिक मिसाइल

ब्रह्मोस-सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल

बराक-1-एयर डिफेंस शील्ड

अन्य मिसाइलें-पृथ्वी और धनुष

नौसेना

2 विमान वाहक पोत-आइएनएस विराट व आइएनएस विक्र मादित्य. कई हादसों के बाद पनडुब्बियों की हालत खस्ता.

8 गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर.

18 के करीब अन्य फ्रिगेट.

(इनपुट: इंडिया टूडे, टाइम्स ऑफ इंडिया)

योजनाएं, जो नहीं बढ़ीं आगे

हथियारों की कमी के चलते सेना कई तंगियों से जूझ रही है. सेना को आधुनिक करने की कई कई अहम योजनाएं भी पूरी नहीं हो सकी हैं. इनमें नयी होवित्जर तोपों, हेलीकॉप्टरों और एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों से जुड़ी योजनाएं भी शामिल हैं. सेना के एक बड़े अफसर ने कहा, ऑपरेशनल व ट्रेनिंग जरूरतों व बजट के बीच काफी अंतर है. इसके अलावा आयात और हमारे कारखानों से हथियारों के उत्पादन के बीच भी फर्क है.

सवालों के घेरे में रक्षा मंत्री

रक्षा मंत्री के रूप में एके एंटनी सात साल से अधिक का समय पूरा कर लिया है. लेकिन उनका कार्यकाल किसी न किसी वजह से विवादों में रहा है. सशस्त्र बलों और रक्षा विशेषज्ञों के बीच निशाने पर एंटनी ही रहे. गोला-बारूद हथियारों की कमी का मामला भी एंटनी की ढुल-मुल नीति का ही नतीजा माना जा रहा है. एंटनी के कार्यकाल में ही जनरल वीके सिंह की उम्र का विवाद उभरा. रक्षा मंत्रलय में जासूसी का मामला सामने आया. हथियारों की खरीद में रिश्वतखोरी का मामला उछला.

2010 में अगस्टा वेस्टलैंड से 12 वीवीआइपी हेलीकॉप्टरों के 58 करोड़ डॉलर के सौदे में रिश्वत का मामला सामने आया. नौसेना की पनडुब्बियों में एक साल में आठ हादसे और उसके बाद नौसेना प्रमुख डीके जोशी के इस्तीफे के बाद एंटनी पर भी उंगलियां उठीं. कहा गया कि पनडुब्बियां पुरानी पड़ गयी हैं और नौसेना अफसरों को उचित ट्रेनिंग भी नहीं मिल पा रही है, जिससे लगातार हादसे हो रहे हैं. एंटनी ने आरोपों का कभी संतोषजनक जवाब नहीं दिया.

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