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वैकल्पिक नीति के लिए थर्ड फ्रंट

जम्मू और कश्मीर का कम्युनिस्ट चेहरा हैं एमवाइ तारिगामी. वह कुलगाम से विधायक हैं और राज्य में कम्युनिस्ट आंदोलन से तब से जुडे़ हैं जब से वह राजनीति में आये हैं. 1996 में नेशनल कांफ्रेंस द्वारा कुलगाम सीट सीपीआई (एम) सचिव के लिए छोड़ने के फैसले के बाद से तारिगामी ने रिकॉर्ड तीन बार (2008 […]

जम्मू और कश्मीर का कम्युनिस्ट चेहरा हैं एमवाइ तारिगामी. वह कुलगाम से विधायक हैं और राज्य में कम्युनिस्ट आंदोलन से तब से जुडे़ हैं जब से वह राजनीति में आये हैं. 1996 में नेशनल कांफ्रेंस द्वारा कुलगाम सीट सीपीआई (एम) सचिव के लिए छोड़ने के फैसले के बाद से तारिगामी ने रिकॉर्ड तीन बार (2008 तक) वहां का प्रतिनिधित्व किया. इस साक्षात्कार में तारिगामी ने थर्ड फ्रंट की भावी योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की है.

आप राजनीति में कैसे आये?

मेरी कोई परिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है. राजनीति में मेरी शुरुआत 1967 से हुई. उस समय कुलगाम जिले के कतरूसो गांव में कुछ दबंग नेता किसानों से जबरन उनकी उपज में हिस्सा मांगते थे. मैं उस समय किशोर था. मैंने इसका विरोध किया और कहा कि भूमि सुधार कानून लागू हो चुका है इसलिए किसानों को उनका वाजिब हक मिलना चाहिए. इसके बाद मेरे परिवार और संबंधियों सहित मुझे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पुलिस की इस कार्रवई ने मुझे राजनीति में आने को मबजूर कर दिया.

आप महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध को रोकने के लिए कठोर कानून बनाने की मांग करते रहे हैं. क्या आपको लगता है कि आपके राज्य में सरकार इस दिशा में ठीक काम कर रही है?

नहीं. देखिए, 21वीं सदी में हमें आधुनिक तरीके से सोचना होगा. हमें अपनी पुरानी और संकीर्ण सोच को बदलना होगा. महिलाओं को हर अधिकार मिलना चाहिए. महिलाओं के बिना विश्व की कल्पना कर के देखिये. महिलाओं को सशक्त नहीं करके हम धरती पर सबसे पवित्र रचना के साथ भेदभाव कर रहे हैं. इसलिए हमें उनके हक को छीनने का कोई अधिकार नहीं है.

थर्ड फ्रंट की परिकल्पना कैसे हुई? इसमें आप लोगों के पास नया क्या है?

हमलोगों ने कभी नहीं कहा कि यह कोई विकल्प है. यह प्रस्ताव रखा कि समान दृष्टिकोण, समान विचारधारा वाले लोगों को एकसाथ आना चाहिए. यह सिर्फ एक सरकार को दूसरे से बदलने का गठजोड़ नहीं है. यह एक प्रयास है जिससे एक वैकल्पिक नीति तैयार हो सकती है जो सबके लिए फायदेमंद हो, विशेषकर युवाओं के लिए. मेरे हिसाब से हमारे बीच (अलगाववादी और मुख्यधारा) कुछ समानता है जहां हमलोग समाज के भले के लिए मिलकर काम कर सकते हैं. क्या हमलोग मिलकर एक संयुक्त फोरम नहीं बना सकते हैं जिसके तहत हम भारत सरकार से आफसा को हटाने के लिए कहे? हम सभी जानते हैं भ्रष्टाचार सभी जगह है और हम उससे निजात पाना चाहते हैं.

युनाइटेड फ्रंट के लोग मुसलिम युनाइटेड फं्रट (एमयूएफ) की तरह दिखते हैं जिसने 1987 में नेशनल कांफ्रेंस की नींव हिला दी थी?

उस समय एमयूएफ का उदय एक विशेष राजनीति परिस्थिति में हुआ था. आज समय पूरी तरह से बदल गया है. लोगों के विधि सम्मत मांगों को उठाने के लिए संयुक्त प्रयास की जरूरत है.

यह कहा जाता है कि थर्ड फ्रंट का काम नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के सत्ता में आने की संभावनाओं को कम करना है. क्या आपको नहीं लगता है कि इससे कश्मीर की राजनीति में कोई बदलाव नहीं आयेगा?

मैं इससे सहमत नहीं हूं. यह आरोप है जो हमें स्वीकार नहीं है. सिर्फ सीटों पर तालमेल और सत्ता पाना हमारा मकसद नहीं है.

क्या आपको लगता है कि 2014 के चुनाव में थर्ड फ्रंट के पास सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाने या सरकार बनाने लायक संख्या होगी?

हमलोगों ने अभी आने वाले चुनाव के बारे में चर्चा नहीं की है. लेकिन जैसा मंैने पहले ही बता दिया है हमारी पार्टी का मकसद सिर्फ वोट बैंक नहीं है.

थर्ड फ्रंट के साथ जुड़नेवाले विधायकों की संख्या बहुत कम है. आप इसको कैसे ठीक करेंगे?

मतदाताओं को वोट देने तो दीजिए. हमलोगों को सिर्फ वैसे लोगों की जरूरत है जो जनता के बारे में सोचे और जरूरतमंदों की सहायता करे. हमें अपने मोर्चे में क्वालिटी चाहिए. आनेवाले चुनाव में क्या होगा यह कोई नहीं जानता. मतदाता ही इसका फैसला कर सकता है. मुझे विश्वास है कि मतदाता हमारे फ्रंट (आवामी मुत्ताहिद महाज) में ज्यादा लोगों को देखना चाहेंगे.

कश्मीर पर थर्ड फ्रंट का क्या दृष्टिकोण है? सीपीआई (एम) ने समाजवादी पार्टी के साथ सामन्जस्य कैसे बैठाया?

हमलोग इसे विवादित मानते हैं. थर्ड फ्रंट के लोग कश्मीर मुद्दे के सर्वमान्य समाधान के पक्ष में है. यही आज की जरूरत है. मैं आपको बता रहा हूं कि हमलोगों ने बहुत सहा है. अब बहुत हो गया. इस मुद्देे के समाधान के लिए नए तरीके खोजने होंगे. इसपर यहां के लोगों की भी राय ली जानी चाहिए. बातचीत में हम सभी लोगों को शामिल होना होगा.

पीडीपी कहती है कि गिलानी को बार बार गिरफ्तार कर नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) लोकतंत्र का मजाक उड़ा रही है. एनसी के महासचिव मुस्तफा कमाल कहते हैं कि गिलानी कानून व्यवस्था को बिगाड़ते हैं और हिंसा को बढ़ावा देते हैं. आप इसे कैसे देखते हैं?

गिलानी पहले भी अज्ञात कारणों से कईबार गिरफ्तार हो चुके हैं. मेरे हिसाब से यह सही कदम नहीं है. अलगाववादियों की आवाज को क्यों दबाया जाये? उन्हें भी बोलने दिया जाये. आखिरकार सभी लोग तो लोगों की भलाई के बारे में ही सोचते हैं.

सरकार जहां हर साल अमरनाथ यात्रा के लिए छह लाख लोगों की यात्रा को सूचारू रूप से संचालित कर सकती है. ऐसे में पिछले 23 सालों से मुहरर्रम के जुलूस पर प्रतिबंध जायज है?

यह दुर्भाग्यपूर्ण है. समाज में बहुत से स्वार्थी तत्व हैं जो लोगों को धर्म और जाति के नाम पर बांटते हैं. दुर्भाग्य से हमलोगों ने सांप्रदायिक हिंसा को झेला है. स्वार्थी तत्व इसी माध्यम से लोगों का ध्यान मुख्य मुद्दों की तरफ से हटाते हैं. मैं नीति बनाने वालों से अपील करता हूं कि वो प्रतिबंध के डंडे को फेंक दें और अपनी बात कहने का अहिंसक तरीका खोजें.

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार अलगाववादियों और पाक पीएम के सलाहकार सरताज अजीज के बीच वार्ता निरर्थक रही. भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इसे यूपीए सरकार का ह्यडिप्लोमैटिक ब्लंडरह्ण करार दिया. वहीं गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा, उन्हें बात करने दीजिए. वो कारगिल के बाद से बात कर रहे हैं. क्या आपको लगता है कि बातचीत से कश्मीर समस्या का समाधान हो सकता है?

हां. हमलोग शांतिप्रिय लोग हैं. युद्ध से कभी किसी समस्या का समाधान नहीं हुआ है. हिंसा से सिर्फ विनाश ही होता है. यह बात हम आज के कश्मीर को देखकर कह सकते हैं. अगर आपसी गलतफहमी की वजह से बातचीत बार-बार टूट जाये फिर भी हमें आस नहीं छोड़नी चाहिए.

आपकी पार्टी का कश्मीर में क्या भविष्य है?

हमलोग बड़े परिदृश्य के बारे में सोच रहे हैं. हमलोग चुनाव के बाद की सोच रहे हैं.

पूर्व सेनाध्यक्ष ने वीके सिंह ने खुलासा किया था कि कृषि मंत्री ग़ुलाम हसन मीर ने सरकार गिराने के लिए 1.19 करोड़ रुपए लिये. उन्होंने यही भी कहा कि 1947 से ही जम्मू और कश्मीर के मंत्री सेना के पे रोल पर रहे हैं. इसपर आप क्या कहेंगे?

बकवास है. हमलोगों ने इसकी जांच की मांग की है. जो भी वीके सिंह ने कहा वो सिर्फ आरोप है. सेना या किसी भी सुरक्षा एजेंसी को अपनी सीमा में रहना चाहिए. वो सिर्फ लोगों की सुरक्षा के लिए हैं. इसलिए हमलोगों ने जांच की मांग की है.

आम आदमी का आपकी पार्टी में क्या स्थान है?

हमलोगों को जनता में विश्वास है क्योकि उनके पास शक्ति है. आम आदमी के वोट की बदौलत ही हमलोग उनके प्रतिनिधि बन पाते हैं. हमारी पार्टी असहमति के स्वर का प्र्रतिनिधित्व करती है.

(राइजिंग कश्मीर से साभार)

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