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पेट के कैंसर के लिए ज़िम्मेदार है ‘मोटापा’

अनियमित दिनचर्या और लगातार बैठे रहने के कारण ‘मोटापा’ आज की समस्या बन गया है. कई मामलों में दिन भर कुछ न खा पाने, कम सो पाने और कुछ बिमारियों के कारण भी मोटापा बढ़ता जाता है. यह मोटापा आपके दैनिक जीवन को ही नहीं बल्कि आपके शरीर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है. इस […]

अनियमित दिनचर्या और लगातार बैठे रहने के कारण ‘मोटापा’ आज की समस्या बन गया है. कई मामलों में दिन भर कुछ न खा पाने, कम सो पाने और कुछ बिमारियों के कारण भी मोटापा बढ़ता जाता है. यह मोटापा आपके दैनिक जीवन को ही नहीं बल्कि आपके शरीर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है.

इस मोटापे के चलते ही अब पेट के कैंसर का खतरा मंडराने लगा है. इसकी पुष्टि की है हालिया हुए एक शोध ने.

अमेरिका में हुए एक शोध के अनुसार, मोटे लोगों को पतले लोगों से 50% अधिक बड़ी आंत (कोलोन व रेक्टम) के कैंसर का खतरा होता है. कोलोरेक्टल कैंसर को पेट और आंत के कैंसर से भी जाना जाता है. कोलोरेक्टल कैंसर बड़ी आंत के हिस्से कोलोन और रेक्टम में पनपता है.

अमेरिका के फिलाडेल्फिया में थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्कॉट वाल्डमन के अनुसार, ‘मोटे लोगों में कोलोरेक्टल कैंसर का इलाज हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की सहायता से किया जा सकता है’.

शोधकर्ताओं ने मान्यता प्राप्त दवा लाइनोक्लोटाइडकी भी खोज की है, जो कैंसर के निर्माण को रोकने और मोटे लोगों में कोलोरेक्टरल कैंसर की रोकथाम के लिए कारगर है.

वाल्डमैन कहते हैं कि लाइनोक्लोटाइड दवा उस हॉर्मोन की तरह काम करता है, जिसकी कमी मोटे लोगों में अक्सर हो जाती है’.

शोधर्कताओं ने बताया है कि उन्होंने इस बात की खोज की है कि मोटापे के कारण ग्वानिलीन हॉर्मोन की कमी हो जाती है, जिसका निर्माण आंत के एपिथिलियम कोशिकाओं द्वारा किया जाता है. लाइनोक्लोटाइड दवाई मोटापे से परेशान लोगों में ट्यूमर को दबाने वाले हॉर्मोन रिसेप्टर्स को सक्रिय कर कैंसर का इलाज करती है. जेनेटिक रिप्सेलमेंट से ट्यूमर को दबाने वाले हॉर्मोन सक्रिय हो जाते हैं.

यह शोध पत्रिका कैंसर रिसर्चमें प्रकाशित हुआ है.

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