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मनोरंजक फिल्म है हाइवे

फिल्म : हाइवे कलाकार : आलिया भट्ट, रणदीप हुड्डा निर्देशक : इम्तियाज अली रेटिंग : 4 स्टार ।।अनुप्रिया अनंत।। हर कैदी जेल से भागने के लिए अंधेरे का ही सहारा लेता है. वीरा भी अंधेरे की आड़ में ही आजादी की तलाश में निकलती है. उस वक्त तक उसकी चाहत बस इतनी सी होती है […]

फिल्म : हाइवे
कलाकार : आलिया भट्ट, रणदीप हुड्डा
निर्देशक : इम्तियाज अली
रेटिंग : 4 स्टार
।।अनुप्रिया अनंत।।
हर कैदी जेल से भागने के लिए अंधेरे का ही सहारा लेता है. वीरा भी अंधेरे की आड़ में ही आजादी की तलाश में निकलती है. उस वक्त तक उसकी चाहत बस इतनी सी होती है कि उसे कुछ मिनट के लिए खुली हवा में सांस लेनी है. चूंकि अब वह सोने के पिंजड़े में रहकर बोर हो चुकी है. उसे पहाड़ देखना है. झरने देखने है. मिट्ठी के घर में रहना है. उसकी यह चाहत पूरी होती है. लेकिन अजीबोगरीब अंदाज में. उसका अपहरण हो जाता है. वह दोबारा कैद हो जाती है. लेकिन उसे ब्रांडेड घर की कैद से खुली फिजाओं में एक अजनबी के साथ की कैद पसंद है. इम्तियाज अली की फिल्म हाइवे दरअसल, एक लड़की की आजादी की कहानी है. एक लड़की जिसके पास जुबान है. लेकिन कोई हमराज नहीं, कोई साथी नहीं. जिससे वह अपने दिल की बात शेयर कर सके.
इम्तियाज अली की फिल्म हाइवे किसी खूबसूरत लोकेशन पर फिल्मायी गयी एक आम फिल्म नहीं है. बल्कि एक ऐसी प्रेम कहानी है. जिसमें शब्दों से अधिक भावनाओं की जगह है. जहां दो किरदारों की आंखें, उनकी भावनाएं और उनकी मासूमियत ही संवाद है. वीरा. हाइ क्लास सोसाइटी में जन्मी एक ऐसी लड़की जिसके साथ 9 साल की उम्र में ही यौन शोषण हुआ. लेकिन वह कभी खुल कर लोगों के सामने उस शैतान का चेहरा नहीं ला पायी. दरअसल, वीरा की जैसी उन तमाम लड़कियों की इसी आजादी की जरूरत है. वीरा फिल्म के एक दृश्य में कहती है कि मैं पहले भी इन जगहों पर आयी. लेकिन कभी ऐसा महसूस नहीं किया. जैसा अब कर रही. होटल तो सभी जगह एक से होते हैं. वजह स्पष्ट है. रईसजादे होलीडे ट्रीप पर भी हाइ क्लास सिंड्रोम में ही जीते हैं. वे पहाड़ी इलाकों में भी अपनी रईसी नहीं छोड़ते. वे वहां भी हाइ क्लास नूडल्स खाना ही पसंद करते हैं. ऐसे में वीरा को जब कटिंग चाय, रुखी सूखी रोटी और धान के खेत में पंख फैलाने का मौका मिलता है. तो वह जम कर इस पूरे माहौल का आनंद उठाती है. वह फिल्म के अंत में दोहराती है कि मेरा किडनैप हुआ था.
लेकिन मैं वहां आजाद थी. लेकिन यहां घर पर होकर भी कैदी महसूस कर रही हूं. दरअसल, इसकी वजह यही थी कि अपहरणकर्ता के रूप में दरअसल उसे एक साथी मिला महावीर के रूप में, जिसने उससे जीने मरने की कसमें या कोई वायदे नहीं किये. बस वीरा की छोटी ख्वाहिशों को पूरा करने की कोशिश की. फिल्म के अंतिम दृश्य में वीरा अपने और महावीर के बचपन की परिकल्पना करती है कि काश ऐसा होता..उन दृश्यों से साफ स्पष्ट होता है कि किस तरह वीरा और महावीर दोनों ने अपना बचपन खोया. इम्तियाज अली की फिल्म हाइवे एक साथ आपको कई मुद्दों से रूबरू कराती है. वीरा अमीर की बच्ची है. महावीर गरीब घर का बच्चा है. लेकिन दोनों ही अपना बचपन खो चुके. दोनों ही अंदर अंदर घूट रहे हैं. और दोनों की चुप्पी एक दूसरे का साथ पाकर टूटती है. इम्तियाज ने एक इंटरव्यू में इस बात की व्याख्या की है कि उन्होंने किरदार का नाम महावीर क्यों चुना. चूंकि वह हनुमान के किरदार को पसंद करते हैं. चूंकि हनुमान के पास अपनी कहानियां नहीं होती थी. वह दूसरों की कहानियां कहते और उनके संकटमोचक थे. इस फिल्म में वीरा का संकटमोचक महावीर है. वीरा कहती है कि मैं खाना बना लूंगी. पहाड़ पर जाना चाहती हूं. बाकी तो मुङो पता है. तुम संभाल लोगे. चूंकि हां, हाइवे के पूरे सफर में महावीर संकटमोचक की तरह वीरा का साथ निभाता है.
रणदीप काबिल अभिनेता हैं.
यह वे अपनी पिछली फिल्मों से साबित कर चुके हैं. लेकिन हाइवे उनके अभिनय का नया एक्सटेंशन है. चूंकि इस फिल्म में इम्तियाज ने उनसे आंखों से अभिनय कराया है. फिल्म में रणदीप के संवाद बेहद कम हैं. लेकिन उन्होंने जिस सलीके से अपने किरदार को निभाया है. शायद महावीर के किरदार में किसी अन्य अभिनेता की परिकल्पना किया जाना बेईमानी ही होता. आलिया ने अपने फिल्मी करियर का यह सबसे महत्वपूर्ण निर्णय लिया. उन्होंने यह फिल्म साइन की. चूंकि वे अभी नयी हैं. सो, उन पर पारखी नजर है. ऐसे में हाइवे जैसी फिल्म चुन कर उन्होंने साबित कर दिया है कि वे आनेवाले दौर की सबसे प्रभावशाली अभिनेत्रियों में से एक होंगी. उन्होंने इस फिल्म में एक साथ एक दृश्य में जितने वेरीयेशन दिखाये हैं. वह हाल की किसी फिल्म में किसी अभिनेत्री ने नहीं दिखाये होंगे. आलिया अपने हाव भाव से अभिनय करने में उस्ताद हैं और इम्तियाज ने आलिया की इन खूबियों की परख बखूबी की है. आलिया ने हर किरदार में जिंदगी भरी है. उन्होंने फिल्म को लाइव बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. अपनी गुडी गुडी इमेज को तोड़ने में वह पूरी तरह कामयाब हुई हैं. एक खास बात जो उनके अभिनय में नजर आयी. वे किसी अभिनेत्री की नकल नहीं कर रहीं.
वे रोती हुई, अपनी मासूमियत भरी बातें करते वक्त भी स्वभाविक लगी हैं. उनके चेहरे, उनकी आंखों और नाकों को सिकोड़ने का जो अंदाज है. वह बेहद स्वभाविक है. आलिया ही वीरा हैं और वीरा ही आलिया हैं. इम्तियाज अली अपनी फिल्मों में सफर और सफर में प्रेम की कहानी को लेकर चलते हैं और वे इस विधा में माहिर हो गये हैं. हर बार वे प्यार की नयी परिभाषा गढ़ते हैं. इस बार भी वे इसमें कामयाब हुए हैं. उन्होंने साबित कर दिया है कि वर्तमान दौर के प्रेम कहानियां दर्शाने वाले यश चोपड़ा वही हैं. अपनी स्पष्ट सोच के साथ वे जब जब आ रहे. दर्शकों को चौंका रहे. उन्होंने फिल्म को ट्रीप या डायरीज बनाने की कोशिश नहीं की है. फिल्म बहुत कम समय में बहुत सारी बातें कह जाती हैं. हाइवे वर्तमान दौर की महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक साबित होगी.

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