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शुचिता के विचार पर सवाल उठाती डॉक्यूमेंटरी

नई दिल्ली : भारत की विभिन्न संस्कृति में महिला की शुचिता और कौमार्य पर खुल कर चर्चा नहीं की जाती.अलबत्ता, अपनी डॉक्यूमेंटरी ‘माय सेक्रेड ग्लास बाउल’ से फिल्मकार प्रिया तुवासेरी ने आम तौर पर बहस से दूर रहने वाले इस विषय पर चर्चा छेड़ने की पहल की है. पीएसबीटी :पब्लिक सेक्टर ब्रॉडकास्टिंग ट्रस्ट: के ओपेन […]

नई दिल्ली : भारत की विभिन्न संस्कृति में महिला की शुचिता और कौमार्य पर खुल कर चर्चा नहीं की जाती.अलबत्ता, अपनी डॉक्यूमेंटरी ‘माय सेक्रेड ग्लास बाउल’ से फिल्मकार प्रिया तुवासेरी ने आम तौर पर बहस से दूर रहने वाले इस विषय पर चर्चा छेड़ने की पहल की है.

पीएसबीटी :पब्लिक सेक्टर ब्रॉडकास्टिंग ट्रस्ट: के ओपेन फ्रेम फिल्म फेस्टिवल 2013 में यह फिल्म दिखायी जा रही है. यह महोत्सव 21 सितंबर तक चलेगा. परिणय सूत्र में बंधने के पहले लड़की का कौमार्य और गर्भावस्था परीक्षण संबंधी एक खबर पढने के बाद उन्हें इस पर काम करने का विचार आया.

मीडिया पेशेवर और जामिया मिलिया इस्लामिया से जनसंचार में स्नातक प्रिया ने कहा, ‘‘जब मैंने खबर पढी तो मैं सोचने लगी कि शुचिता की परीक्षा महिला को ही क्यों देनी पड़ती है पुरुष को क्यों नहीं. हम ऐसा क्यों नहीं सुनते कि शादी से पहले व्यक्ति के स्वास्थ्य की अथवा एचआईवी जांच हुयी.’’

प्रिया ने कहा, ‘‘एक आधुनिक महिला के तौर पर, अगर मेरी नैतिकता पर कोई सवाल उठाता है तो मैं अपने लिए बोल सकती हूं. लेकिन, कमजोर लड़कियां कैसे अपनी बात कहेंगी.’’

मध्यप्रदेश, राजस्थान, लखनउ, जयपुर और दिल्ली के दूर दराज के क्षेत्रों में इसकी शूटिंग हुयी है. देश में व्याप्त ऐसे विभिन्न रीति रिवाजों को दिखाया गया है जिसमें शादी के पहले दुल्हन का शुचिता परीक्षण होता है.

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