Mutual Funds Rules Change : देश में फैली कोरोना वायरस महामारी की वजह से निवेशकों को सहूलियत देने के लिए बाजार विनियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंडों के कई नियमों में बदलाव किए हैं. म्यूचुअल फंड को निवेश के लिए पहले कहीं अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए आगामी 1 जनवरी से कई नियमों में बदलाव होने जा रहा है.
बाजार विनियामक सेबी ने म्यूचुअल फंडों को लेकर कई अहम कदम उठाए हैं, जो नए साल में लागू होंगे. इनमें कुल संपत्ति के मूल्य (NAV) कैलकुलेशन से लेकर नया रिस्कोमीटर टूल समेत कई नियम शामिल हैं, जिनमें बदलाव हो जाएगा. आइए, जानते हैं कि 1 जनवरी 2021 से म्यूचुअल फंड के किन-किन नियमों में बदलाव होगा...
मल्टी कैप इक्विटी म्यूचुअल फंड्स
सेबी की ओर से 1 जनवरी 2021 से म्यूचुअल फंड निवेश के नियमों में जो बदलाव हो रहे हैं, उनमें सबसे बड़ा बदलाव मल्टी कैप इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में पोर्टफोलियो एलोकेशन को लेकर है. सेबी ने इन फंड्स का कम से कम 75 फीसदी हिस्सा इक्विटी में इन्वेस्ट करने के लिए जरूरी बना दिया है, जो अभी मिनिमम 65 फीसदी है.
इसके अलावा, मल्टी कैप इक्विटी म्यूचुअल फंड्स स्कीम्स में कम से कम 25-25 फीसदी हिस्सा लार्ज कैप, मिडकैप और स्मॉल कैप स्टॉक्स में निवेश करना होगा. अभी म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए कोई ऐसा प्रतिबंध नहीं है, वे अपनी मर्जी से किसी भी श्रेणी के स्टॉक में निवेश कर सकते हैं. सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों को इस नए नियम को लागू करने के लिए 31 जनवरी, 2021 तक का टाइम दिया है.
संपत्ति के मूल्यांकन की गणना में बदलाव
1 जनवरी से निवेशकों को इस दिन के म्यूचुअल फंड्स का कुल संपत्ति मूल्य यानी परचेज NAV एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के पास पैसे पहुंच जाने के बाद मिलेगा, चाहे निवेश के साइज कितना बड़ा क्यों न हो. सेबी ने यह तय किया है कि लिक्विड और ओवरनाइट म्यूचुअल फंड योजनाओं को छोड़कर सभी म्यूचुअल फंड्स योजनाओं में दिन का क्लोजिंग एनएवी यूटिलाइजेशन के लिए उपलब्ध फंड्स के आधार पर तय होगा. अभी मौजूदा नियमों के अनुसार, 2 लाख रुपये से कम की खरीदारी में सेम डे का एनएवी लागू होता है और ऑर्डर प्लेस हो जाता है, चाहे पैसे एएमसी के पास पहुंचा हो या नहीं.
नया रिस्कोमीटर टूल
ज्यादा जोखिम वाले म्यूचुअल फंडों को लेकर निवेशक सही, उचित और बेहतर लेने के लिए 1 जनवरी 2021 से रिस्कोमीटर टूल पर वेरी हाई रिस्क की एक नई कैटेगरी जोड़ी जाएगी. अब रिस्कोमीटर का मूल्यांकन मासिक आधार पर किया जाएगा, जिसमें एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को सभी म्यूचुअल फंड योजनाओं के पोर्टफोलियो डिसक्लोजर के साथ रिस्कोमीटर अपनी वेबसाइट और एएमएफआई की वेबसाइट पर महीने के खत्म होने के 10 दिन के अंदर अंकित करना होगा. साथ ही, म्यूचुअल फंडों को हर साल रिस्कोमीटर में बदलाव की हिस्ट्री प्रकाशित करना होगा.
लाभांश का नाम बदलेगा
नए साल में अप्रैल महीने से म्यूचुअल फंडों को डिविडेंड ऑप्शंस यानी लाभांश के विकल्प का नाम बदलकर इनकम डिस्ट्रीब्यूशन कम कैपिटल विड्रॉअल करना होगा. सेबी ने सभी म्यूचुअल फंड कंपनियों को डिविडेंड ऑप्शंस का नाम बदलने का निर्देश दिया है.
इंटर स्कीम ट्रांसफर के बदल जाएंगे नियम
1 जनवरी से क्लोज इंडेड फंड्स का इंटर स्कीम ट्रांसफर निवेशकों को स्कीम की यूनिट एलॉट होने के केवल 3 कारोबारी दिवस के अंदर करना होगा. 3 दिन के बाद इंटर-स्कीम ट्रांसफर किसी भी कीमत पर नहीं किए जा सकेंगे. इंटर-स्कीम ट्रांसफर में डेट पेपर्स को एक म्यूचुअल फंड योजना से दूसरे में शिफ्ट किया जा सकेगा. सेबी के नियमों के अनुसार, इंटर स्कीम ट्रांसफर मार्केट प्राइस पर होगा.
Posted By : Vishwat Sen