नई दिल्ली : केंद्र में सत्तासीन मोदी सरकार ने अनावश्यक खर्चों में कटौती करने के लिए अब नौकरशाहों और सरकारी कमर्चारियों को हवाई यात्रा से परहेज करने के साथ ही सस्ती उड़ान के चयन करने की नसीहत दे रही है. उसने हवाई यात्रा करने वाले सरकारी बाबुओं और कर्मचारियों को सबसे सस्ती उड़ान के लिए यात्रा से 21 दिन पहले टिकट बुक कराने का निर्देश जारी किया है. वित्त मंत्रालय ने सरकारी नौकरशाहों और कर्मचारियों से कहा है कि वे जिस श्रेणी की यात्रा के हकदार है, उसमें से भी उनहें सबसे सस्ता किराये का चयन करना चाहिए.
व्यय विभाग ने लिखी चिट्ठी
वित्त मंत्रालय ने अनावश्यक खर्च में कटौती करने की कवायद के तहत सरकारी कर्मचारियों से कहा है कि वे जिस यात्रा श्रेणी के हकदार हैं, उसमें उन्हें सबसे सस्ता किराया चुनना चाहिए और दौरों तथा एलटीसी के लिए अपनी हवाई यात्रा की तारीख से कम से कम तीन हफ्ते पहले टिकट बुक करना चाहिए. व्यय विभाग की ओर से जारी कार्यालय पत्र में कहा गया है कि कर्मचारियों को यात्रा के प्रत्येक चरण के लिए केवल एक ही टिकट बुक करना चाहिए. व्यय विभाग ने यह भी कहा है कि यात्रा कार्यक्रम को मंजूरी मिलने की प्रक्रिया जारी रहने के दौरान भी बुकिंग की जा सकती है, लेकिन ‘बेवजह टिकट रद्द' करने से बचना चाहिए.
तीन अधिकृत एजेंटों से टिकट बुक कराने की हिदायत
इसके साथ ही, व्यय विभाग ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि सरकारी कर्मचारी वर्तमान में सिर्फ तीन अधिकृत यात्रा एजेंटों से ही हवाई टिकट खरीद सकते हैं. इनमें बॉमर लॉरी एंड कंपनी, अशोक ट्रैवल एंड टूर्स और आईआरसीटीसी शामिल हैं. सरकारी खर्च पर हवाई टिकट की बुकिंग से संबंधित नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक यात्रा के 72 घंटे से भी कम समय के भीतर बुकिंग करने, यात्रा के 24 घंटे से भी कम समय में टिकट रद्द करने पर कर्मचारी को स्व-घोषित स्पष्टीकरण देना होगा.
सबसे सस्ती उड़ान सेवाएं चुनें
व्यय विभाग के पत्र में कहा गया है कि कर्मचारियों को अपनी यात्रा श्रेणी में उपलब्ध सबसे सस्ती उड़ानें चुननी चाहिए. सरकार के निर्देशों के मुताबिक, किसी भी एक यात्रा के लिए सभी कर्मचारियों के टिकट एक ही यात्रा एजेंट के जरिए बुक करने चाहिए और इन बुकिंग एजेंट को किसी तरह का शुल्क अदा नहीं किया जाना चाहिए. इसमें कहा गया कि कर्मचारियों को यात्रा से कम से कम 21 दिन पहले टिकट बुक करने चाहिए और सबसे प्रतिस्पर्धी किराये को चुनना चाहिए, जिससे कि सरकारी खजाने पर कम से कम भार पड़े.