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सॉफ्टबैंक को नेक्सस से मिली सबसे बड़े सौदे की मंजूरी, स्नैपडील को खरीदने का रास्ता हो गया साफ

नयी दिल्ली : जापान के सॉफ्टबैंक को आखिर स्नैपडील को भारत की सबसे बड़े ई-वाणिज्यि कंपनी फ्लिपकार्ट को बेचने के लिए सह-निवेशक नेक्सस वेंचर पार्टनर्स (एनवीपी) की मंजूरी मिल गयी है. सूत्रों ने यह जानकारी दी. स्नैपडील में सबसे बडी अंशधारक सॉफ्टबैंक ने पिछले ही महीने संस्थापकों और कलारी से इस संबंध में मंजूरी ले […]

नयी दिल्ली : जापान के सॉफ्टबैंक को आखिर स्नैपडील को भारत की सबसे बड़े ई-वाणिज्यि कंपनी फ्लिपकार्ट को बेचने के लिए सह-निवेशक नेक्सस वेंचर पार्टनर्स (एनवीपी) की मंजूरी मिल गयी है. सूत्रों ने यह जानकारी दी. स्नैपडील में सबसे बडी अंशधारक सॉफ्टबैंक ने पिछले ही महीने संस्थापकों और कलारी से इस संबंध में मंजूरी ले ली थी. हालांकि, एनवीपी जापानी कंपनी द्वारा सुझाये गये मूल्य पर सहमत नहीं थी और गतिरोध दूर करने के लिए पिछले कई हफ्तों के दौरान उनके बीच बातचीत चली. स्नैपडील और फ्लिपकार्ट के बीच यदि सौदा हो जाता है, तो यह भारतीय ई-वाणिज्य क्षेत्र में सबसे बड़ा अधिग्रहण सौदा होगा और यह इस क्षेत्र की तस्वीर बदल देगा.

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मामले की जानकारी रखने वालों के अनुसार, सॉफ्टबैंक समूह ने बिक्री योजना पर आगे बढ़ने के संबंध में एनवीपी की रजामंदी हासिल कर ली है. उन्होंने बताया कि इसी हफ्ते बिक्री संबंधी शर्तों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं. सूत्रों के अनुसार, स्नैपडील के संस्थापकों को तीन-तीन करोड़ डॉलर मिलेंगे. एनवीपी को करीब आठ करोड़ डॉलर तथा विलय के बाद बनने वाली नयी कंपनी में हिस्सेदारी मिल सकती है. कलारी को 7-8 करोड़ डॉलर मिलने की संभावना है. वैसे स्नैपडील, सॉफ्टबैंक, एनवीपी और कलारी को इस संबंध में भेजे गये ईमेल का कोई जवाब नहीं आया.

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उल्लेखनीय है कि सॉफ्टबैंक ने पहले कहा था कि उसे वर्ष 2016-17 के दौरान स्नैपडील में उसे अपने निवेश पर एक अरब डॉलर (6,500 करोड़ रुपये) का घाटा हुआ है. यह उतनी ही राशि है, जितनी उसने अपने घरेलू मार्किटप्लेस में लगायी थी. नियामकीय जानकारी के मुताबिक, सॉफ्टबैंक की वर्तमान में स्नैपडील में 30 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है, जबकि नेक्सस की करीब 10 फीसदी और कलारी की कंपनी में आठ फीसदी हिस्सेदारी है.

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