नयी दिल्ली : कर अधिकारियों को करदाता की संपत्ति कुर्क करने का अधिकार दिये जाने संबंधी प्रावधान को लेकर उपजी आशंका को दूर करते हुए शनिवार को कर विभाग ने कहा कि किसी भी कर अधिकारी को करदाताओं को परेशान करने अथवा कानून का गलत इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं दिया गया है. विभाग ने कहा है कि बजट में जो भी बदलाव किये गये हैं, वह कर प्राप्ति सुनिश्चित करने और अपवंचकों को संपत्ति बेचने से रोकने के इरादे से किये गये हैं.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष सुशील चंद्र ने बजट बाद आयोजित एक संगोष्ठी में कहा कि किसी भी आकलन अधिकारी को इस देश में किसी को भी परेशान करने का कोई अधिकार नहीं दिया गया है. हम कानून का दुरुपयोग नहीं होने देंगे. जहां कहीं भी हमें यह दिखेगा हम इसे रोकेंगे. वर्ष 2017-18 के बजट में किये गये बदलाव को समझाते हुए उन्होंने कहा कि तलाशी के बाद जब भी किसी संभावित कर अपवंचक की संपत्ति के बारे में कोई जांच अधिकारी जानकारी देता है, तो मूल्यांकन प्रकोष्ठ को उसकी रिपोर्ट तैयार करने में चार से पांच माह का समय लग जाता है. इतना समय किसी भी कर निर्धारित्री के लिये संपत्ति बेचने के लिये काफी होता है.
उन्होंने कहा कि इस खामी को रोकने के लिये संपत्ति को अस्थायी तौर पर कुर्क करने का अधिकार दिया गया है, ताकि वह संपत्ति को बेच नहीं पाये. जैसे ही उसकी देनदारी तय होगी, आप उसका भुगतान कीजिये और संपत्ति छोड़ दी जायेगी. यह केवल राजस्व प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 के बजट में कर अधिकारियों को करदाता की संपत्ति को अस्थायी रूप से छह माह के लिए कुर्क करने के अधिकार दिये हैं.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.