नयी दिल्ली : पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा है कि लक्ष्य से कम गैस उत्पादन को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. का केजी-डी6 गैस फील्ड्स का ठेका रद्द नहीं किया जा सकता क्यों कि उत्पादन स्तर में कमी का मामला अभी पंच निर्णय की प्रक्रिया में लम्बित है.
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल द्वारा गैस मूल्य वृद्धि को चुनावी मुद्दा बनाए जाने के बीच मोइली ने यह पत्र लिखा है. यद्यपि अनुबंध में प्रावधान है कि यदि ठेकेदार द्वारा अनुबंध की शर्तों को लेकर चूक की जाती है तो अनुबंध रद्द किया जा सकता है पर पूर्व पेट्रोलियम मंत्री एस. जयपाल रेड्डी ने मई, 2012 में पूर्व निर्धारित लक्ष्य से कम गैस उत्पादन करने के लिए रिलायंस इंडस्टरीज पर 1.005 अरब डालर का जुर्माना लगाया था. रिलायंस इंडस्टरीज ने मंत्रलय के इस निर्णय पर आपत्ति की है और इसके खिलाफ पंच निर्णय की कार्रवाई शुरु की है.
मोइली ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘ पीएससी (उत्पादन में हिस्सेदारी के अनुबंध) के प्रावधानों को देखते हुए सरकार उत्पादन में कमी के आधार पर अनुबंध खत्म नहीं कर सकती क्योंकि यह मामला पंच निर्णय की प्रक्रिया में लंबित है.’’ इससे पहले, केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि सरकार एक अप्रैल, 2014 से प्राकृतिक गैस की कीमत करीब दोगुनी कर आरआईएल को फायदा पहुंचा रही है. उत्पादन भागीदारी अनुबंध (पीएससी) में चूक की स्थिति में जुर्माना लगाने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है. अनुबंध केवल डिफाल्ट की स्थिति में ही रद्द किया जा सकता है.
प्राकृतिक गैस का मूल्य बढ़ाने समर्थन में तर्क देते हुए मोइली ने कहा कि रिलायंस इंडस्टरीज और ओएनजीसी के कई गैस फील्ड्स गैस की मौजूदा 4.2 डालर प्रति (एमएमबीटीयू) यानी 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट की दर पर आर्थिक रुप से अव्यवहारिक हैं. उन्होंने लिखा है, ‘‘ गैस मूल्य निर्धारित करने का आधार चुनने में यह सोचना अच्छा लगता है कि कम मूल्य रख कर हम उपभोक्ताओं को कम मूल्य पर गैस आपूर्ति का भरोसा दे रहे हैं. लेकिन तथ्य यह है कि कोई भी मूल्य निर्धारण फार्मूला उत्खनन क्षेत्र में निवेश, उत्पादन और अंतत: गैस उत्पादन की कुल मात्रा को प्रभावित करता है.’’
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