नयी दिल्ली : ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आयकर विभाग के साथ कर विवाद को बातचीत से सुलझाने के मसले पर अपना मन पक्का नहीं कर सकी है और अब इस मामले में उसे नोटिस भेजने का निर्णय राजस्व विभाग को करना है. वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मंगलवार को यह बात कही. वित्त मंत्रालय वोडाफोन से समझौते की बातचीत का प्रस्ताव वापस लेने के बारे में कैबिनेट नोट जारी कर चुका है.
वोडाफोन के साथ 20,000 करोड़ रुपये के कर विवाद को आपसी सहमति से निपटाने की पेशकश करने के प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद कदम बढ़ाया गया था. चिदंबरम ने कहा कि वोडाफोन के खुद निर्णय नहीं कर पायी है कि इस मुद्दे के समाधान के लिए आगे बढ़ा जाये या नहीं. सुलह पर बातचीत शुरू ही नहीं हो पायी.
मंत्रिमंडल ने जून 2013 में वित्त मंत्रालय के कंपनी के साथ समाधान निकालने की बातचीत का प्रस्ताव मंजूर किया था. यह विवाद वर्ष 2007 में हचिसन एस्सार में हचिसन व्हाम्पोआ की हिस्सेदारी के अधिग्रहण में शेयरों में पूंजीगत लाभ पर कर से जुड़ा है. वर्ष 2007 में हुए इस सौदे के पर मूल कर मांग 7,990 करोड़ रुपये की है.
बकाया राशि में इतनी ही राशि का जुर्माना और ब्याज शामिल करते हुए यह राशि 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गयी. हालांकि वित्त मंत्रालय विवाद को निपटाने के लिए काफी गंभीर था, लेकिन कंपनी के ढुलमुल रवैये की वजह से बातचीत टूट गयी.
सूत्रों के अनुसार, वोडाफोन के नोटिस से उसके अडि़यल रुख का पता चलता है. कंपनी कैबिनेट द्वारा तय शर्तों के दायरे में रह कर सुलह बातचीत करने को लेकर ज्यादा रुचि नहीं ले रही है. सूत्रों के अनुसार, कंपनी उसके वोडाफोन इंडिया सर्विसिज का 3,700 करोड़ रुपये का ट्रांसफर प्राइसिंग मामला भी पूंजीगत लाभकर के साथ शामिल करवाना चाहती है. यह मांग वित्त मंत्रालय को स्वीकार नहीं है. यह मामला बंबई उच्च न्यायालय में लंबित है.
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