दुनिया भर में सस्ते मालों के लिए विख्यात चीन अपने यहां निर्मित सस्ते प्रोडक्ट को वैश्विक बाजार में नहीं बेचेगा. प्रतिष्ठित आर्थिक अखबार ब्लूमबर्ग में छपी खबर के मुताबिक ‘फैक्टरी’ के नाम से विख्यात चीन जल्द ही सस्ते प्रोडक्ट का निर्यात रोक सकता है. ज्ञात हो कि चीनी फैक्ट्रियों को इन दिनों बढ़ती मजदूरी व मांग में कमी की वजह से चीनी व्यापारी इस बात का फैसला लेते हैं. कई कंपनियों ने कर्मचारियों को छंटनी कर दिया व कईयों ने प्रोडक्शन कोस्ट में कमी करने के लिए ऑटोमोशन मशीन लगाया है. पहली बार 2010 में लागत मूल्यों में बढ़ोतरी हुई है.
जाइनामेन सिटी के व्यापारी रोजर झाओं ने बताया कि अब किसी हाल में कीमतों में कटौती नहीं की जा सकती है, क्योंकि पहले से ही लागत बढ़ चुकी है और मैं निकट भविष्य में कीमत में बढ़ोतरी करने का सोच रहा हूं. गौरतलब है कि वैश्विक मंदी की वजह से वस्तुओं के मांग में भी कमी देखी जा रही है. 2010 के बाद पहली बार चीनी वस्तुओं के कीमतों में वृद्धि दर्ज की गयी है.वहीं चीनी प्रोडक्टस की कीमतों में बढ़ोतरी से हांगकांग, जापान, साउथ कोरिया और मैक्सिकों के बाजार को फायदा मिल सकता है.
विनमार्ट डिजायन फाउंडर लिन हैबोइन ने कहा कि सेनेजेन कंपनी ने चीनी प्रोडक्ट्स की कीमत में 30 प्रतिशत की कमी कर दी वहीं कंपनी के मुनाफे में 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है. चीनी मुद्रा युआन की मजबूती भी चीनी विनिर्माण कंपनियों के घाटे की वजह बन रही है.
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