नयी दिल्ली: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय 4,000 करोड़ रुपये की लागत से देश में करीब 80 सीमावर्ती जांच चौकी को दुरस्त करने पर विचार कर रहा है ताकि जीएसटी के क्रियान्वयन से पहले वस्तुओं की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित हो सके. मंत्रालय ने यह भी कहा कि राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र के अधीन आने […]
नयी दिल्ली: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय 4,000 करोड़ रुपये की लागत से देश में करीब 80 सीमावर्ती जांच चौकी को दुरस्त करने पर विचार कर रहा है ताकि जीएसटी के क्रियान्वयन से पहले वस्तुओं की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित हो सके. मंत्रालय ने यह भी कहा कि राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र के अधीन आने वाली जांच चौकियों को जोडने के लिये एक एप पर भी काम किया जा रहा है.
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘मंत्रालय जीएसटी व्यवस्था में सबसे बडे योगदानकर्ताओं में से एक होगा. राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार के अंतर्गत जांच चौकियां हैं. हम उन्हें जोडने जा रहे हैं और उसके लिये एप का विकास कर कर रहे हैं.” सरकार अगले साल से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने की तैयारी में है जिसे अबतक का सबसे बडा कर सुधार माना रहा जा है. यह अन्य अप्रत्यक्ष करों की जगह लेगा और एक समान कर व्यवस्था स्थापित करेगा. मंत्री ने कहा कि एक बार जीएसटी लागू होने के बाद, इससे वस्तुओं की अंतरराज्यीय आवाजाही सुनिश्चित होगी और इसीलिए सीमावर्ती जांच चौकियों को बेहतर बनाने की जरूरत महसूस की गयी है.
राज्य सीमा जांच चौकियों पर सामग्री और स्थानीय कर अनुपालन की जांच की जाती है, इससे प्राय: वस्तुओं के पारगमन में काफी समय लगता है.एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने निर्णय किया कि जीएसटी क्रियान्वयन के लिये पूरक गतिविधियां होनी चाहिए. मंत्रालय ने वस्तुओं की सुचारु आवाजाही के लिये देश भर में 80 अंतरराज्यीय जांच चौकियों को चिन्हित किया है.” अधिकारी ने कहा कि इस प्रकार की प्रत्येक जांच चौकी पर 50 करोड रुपये खर्च होने का अनुमान है. इस लिहाज से 80 जांच चौकियों को दुरुस्त करने में 4,000 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है.
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