नयी दिल्ली : दलहन उत्पादन को बढाने और कीमतों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) की अगुवाई वाली समिति ने आज जीन संवर्धित (जीएम) फसलों को प्रोत्साहित करने के अलावा इसके समर्थन मूल्य में 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि करने और निर्यात प्रतिबंध तथा स्टॉक रखने की सीमा को समाप्त करने का आह्वान किया. रिपोर्ट में खरीद एजेंसियों को युद्धस्तर पर दाल खरीदने के लिए 10,000 करोड रुपये का अतिरिक्त आवंटन करने और किसानों को उत्पादन राजसहायता (सब्सिडी) देने का सुझाव दिया गया है साथ ही दलहन के वायदा कारोबार में प्रतिबंध की फिर से समीक्षा करने को भी कहा गया है.
सीईए अरविन्द सुब्रमण्यम ने वित्त मंत्री को रिपोर्ट सौंपने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘चूंकि दलहनों का उत्पादन वर्षा सिंचित क्षेत्र में किया जाता है, हमें रक्षा कवच जोखिम के लिए पर्याप्त सहायता देने की आवश्यकता है… चूंकि आयात का विकल्प सीमित है, अत: हमें घरेलू उत्पादन को बढाने और उत्पादकता को बढाने की आवश्यकता है.’ मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमण्यम ने कहा कि तत्काल उठाये जाने वाले कदम में से एक यह है कि किसानों को समर्थन देने के लिए खरीफ दलहनों की खरीद युद्धस्तर पर किया जाना चाहिये क्योंकि मूंग की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे चला गया है और यहां तक कि तुअर दाल की कीमत भी घट रही है.
आने वाले सत्र में किसानों को दलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित करने को लेकर उन्होंने अगले माह से शुरू होने जा रहे वर्ष 2016 के रबी सत्र में चने के एमएसपी को 500 रुपये बढाकर 4,000 रुपये प्रति क्विंटल करने का सुझाव दिया. उन्होंने तुअर और उडद के एमएसपी में भारी वृद्धि कर खरीफ 2017 के लिए इसे 6,000 रुपये प्रति क्विंटल करने की भी सिफारिश की. मौजूदा समय में तुअर और उडद का एमएसपी क्रमश: 5,050 रुपये और 5,000 रुपये प्रति क्विंटल है.
उन्होंने कहा, ‘इस रिपोर्ट में तुअर, उडद और चना के लिए जो गणना कर एमएसपी में जो वृद्धि की गई है उसी प्रतिशत के साथ यह वृद्धि अन्य दलहनों के लिए किया जाना चाहिये.’ उन्होंने आगे कहा और सुझाव दिया कि कृषि मूल्य के बारे में परामर्श देने वाला निकाय सीएसीपी को विभिन्न फसलों के लिए एमएसपी निर्धारित करने की अपनी पद्धति की समीक्षा करनी चाहिये. सुब्रमण्यम ने कहा कि तुअर दाल के एमएसपी को बढाकर वर्ष 2018 में 7,000 रुपये प्रति क्विंटल करना चाहिये. उस समय अल्प अवधि वाले खरीफ किस्म वाणिज्यीकरण के लिए तैयार हो जाएगा. यह पूछने पर कि दलहन के एमएसपी में वृद्धि से मुद्रास्फीति प्रभावित होगी,
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि एमएसपी में वृर्द्धि का मुद्रास्फीति पर कोई प्रभाव होगा। एमएसपी वृद्धि से तत्काल आपूर्ति बढेगी और कीमतें कम होंगी. सिंचित क्षेत्र में और चावल वाले क्षेत्रों में दलहन खेती को बढावा देने के लिए सीईए ने सुझाव दिया कि सरकार को डीबीटी के माध्यम से किसानों को करीब 10 से 15 रुपये प्रति किलो की उत्पादन सब्सिडी देना चाहिये. सुब्रमण्यम ने कहा कि केवल एमएसपी ही किसानों को दलहन उत्पादन की ओर ले जाने के लिहाज से पर्याप्त नहीं होगा.
उन्होंने कहा, ‘चालू खरीफ सत्र में सरकार को मूंग, तुअर और उडद को खरीदने के लिए उनके अपने अपने एसएमपी दर पर युद्धस्तर पर प्रयास करने होंगे. एमएसपी के साथ अगर खरीद न की गई तो वह निरर्थक साबित होगा.’ उन्होंने सरकार को कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए कठोर कार्रवाई नहीं करने को कहा तथा इसके निर्यात पर प्रतिबंध को तत्काल उठाने और व्यापारियों पर स्टॉक रखने की सीमा को समाप्त करने को भी कहा. चूंकि भारत में दलहन की उपज वैश्विक औसत से कम है इसलिए सीईए ने उत्पादन और उत्पादकता को बढाने के लिए जीएम प्रौद्योगिकी के विकास का पक्ष लिया.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.