नयी दिल्ली: भारत में मारुति आल्टो 800, टाटा नैनो, फोर्ड फिगो, हुंदै आई10 और फाक्सवैगन पोलो सहित कुछ अत्यधिक लोकप्रिय छोटी कारें ‘कटराव परीक्षण’ में विफल रही हैं. इससे यह दिखता है कि इन कारों की सड़क दुर्घटना की स्थिति में गंभीर चोट आने का जोखिम ज्यादा है.
नवीन कार आकलन कार्यक्रम की निगरानी करने वाली संस्था ग्लोबल एनसीएपी द्वारा किए गए परीक्षणों के मुताबिक, 64 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से इन कारों के भिड़ंत परीक्षण में वयस्कों की सुरक्षा के मामले में शून्य रेटिंग दी गई. ग्लोबल एनसीएपी ब्रिटेन स्थित एक स्वतंत्र परोपकारी संस्था है जो उपभोक्ता उन्मुखी वाहनों की सुरक्षा के संबंध में की गई पहल पर ध्यान केंद्रित करती है.
ग्लोबल एनसीएपी ने कहा कि पिछले साल भारत में बिकी सभी नई कारों इन पांच कारों की हिस्सेदारी करीब 20 प्रतिशत रही. सोसाइटी आफ इंडियन आटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स (सियाम) के मुताबिक, 2013 में भारत में कुल कारों की बिक्री 18,07,011 इकाइयों की रही. ग्लोबल एनसीएपी के चेयरमैन मैक्स मोसले ने कहा, ‘‘ ढांचे की बनावट में खामी एवं एयरबैग नहीं होने से भारतीय उपभोक्ताओं की जान जोखिम में पड़ती है. उन्हें यह जानने का हक है कि उनका वाहन कितना सुरक्षित है.’’ उन्होंने कहा कि भारत छोटी कारों के लिए अब एक बड़ा वैश्विक बाजार एवं उत्पादन केंद्र है, इसलिए सुरक्षा के इस स्तर को देखकर चिंतित होना लाजमी है. संपर्क किए जाने पर उक्त कारें बनाने वाली कंपनियों के प्रवक्ताओं ने कहा कि उनके वाहन भारतीय सुरक्षा मानकों को पूरा करते हैं.
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