नयी दिल्ली : 92 सालों से लगातार चली आ रही रेलवे बजट की परंपरा अब खत्म हो सकती है. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ मे छपी खबर के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने पांच सदस्यों की समिति बनायी है. जो दोनों बजट का अध्ययन कर विलय पर काम करेगी.अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे रेल बजट का […]
नयी दिल्ली : 92 सालों से लगातार चली आ रही रेलवे बजट की परंपरा अब खत्म हो सकती है. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ मे छपी खबर के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने पांच सदस्यों की समिति बनायी है. जो दोनों बजट का अध्ययन कर विलय पर काम करेगी.अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे रेल बजट का प्रवाधान जल्द ही बंद करने पर विचार किया जा रहा है
गौरतलब है कि विवेक देबरॉय कमिटी ने रेलवे बजट बंद करने का सुझाव दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे का इस्तेमाल सहयोगी पार्टियां अपनी छवि चमकाने के लिए करती है. कई बार ऐसा हुआ है कि गठबंधन सरकार में रेल मंत्रालय सहयोगी पार्टियों के पास रहा है. ऐसे में सहयोगी पार्टियाें के मंत्री सरकार पर दबाव डाला करते थे. रेलवे बजट वित्त मंत्रालय के बजट के साथ पेश होने पर इस तरह की चीजों पर रोक लगेगी.
रेलवे बजट की परंपरा बंद करने को लेकर रेल मंत्री सुरेश प्रभु वितमंत्री अरुण जेटली से मिल चुके हैं. रेल मंत्रालय का मानना है कि पूरा फंड मिलने पर रेलवे अपने जरूरतों के हिसाब से खर्च कर पायेगा. हालांकि यह भी अलग विभागों के तरह हो जायेगा. जिसपर वित्त मंत्रालय की नजर होगी. दरअसल सातवां वेतन आयोग लागू होने से रेलवे पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है.
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