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जीएसटी की जद्दोजहद : कांग्रेस के तेवर नरम, लेकिन पी चिदंबरम ने लगाये कई ‘किंतु-परंतु”

नयी दिल्ली : पूर्व वित्तमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने आज राज्यसभा में वस्तु एवं सेवा कर विधेयक जीएसटी पर चर्चा में भाग लेते हुए संकेत दिया कि कांग्रेस का रुख विधेयक पर नरम है. उनके संबोधन की नरमी से इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि आज या निकट भविष्य […]

नयी दिल्ली : पूर्व वित्तमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने आज राज्यसभा में वस्तु एवं सेवा कर विधेयक जीएसटी पर चर्चा में भाग लेते हुए संकेत दिया कि कांग्रेस का रुख विधेयक पर नरम है. उनके संबोधन की नरमी से इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि आज या निकट भविष्य में कुछ सुझाव व संशोधन के साथ जीएसटी बिल पारित हो जायेगा.उन्होंने वित्तमंत्री और मोदी सरकारकी इस बात के लिए सराहना की कि पिछले कुछ सप्ताह में उनका टोन बदला है,चिदंबरम ने कहा कि पहलेसरकारसोचती थी कि वहबिनामुख्य विपक्ष कांग्रेस कासाथ लिये ही जीएसटी विधेयक पास करा लेगी.उन्होंने बिल का समर्थन करने की बात तो कही, लेकिन उसमें कई किंतु-परंतु लगा दिये. चिदंबरम ने कहा कि इस पर दोनों सदनों में चर्चा होना जरूरी है और वहां पास कराना जरूरी है. उन्होंने इसे मनी बिल की जगह वित्त विधेयक के रूप में रखे जाने की बात कही.सरकार की ओर से भी आज यह विश्वास जताया गया कि पहली अप्रैल 2017 से जीएसटी देश में लागू हो जायेगा.

पी चिदंबरम ने विस्तार से बताया कि कैसे उनकी सरकार जीएसटी बिल को लेकर गंभीर थी और भाजपा सहित दूसरी पार्टियों ने यूपीए के कार्यकाल में उसकी राह में रोड़ा अटकाया. चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने वित्तमंत्री के रूप में सबसे पहले 28 फरवरी 2005 को अपने बजट भाषण में जीएसटी की चर्चा की थी और कहा कि थी मीडियम व लांग टर्म में टैक्स प्रणाली रिप्लेस होनी चाहिए व नेशनल वैट लागू होना चाहिए. चिदंबरम ने कहा कि लंबी जर्नी हमारे लिए लर्निंग एक्सपीरियंस रहने वाला रहा. उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस जीएसटी के आइडिया के खिलाफ नहीं है, बल्कि हमारा विरोध जीएसटी विधेयक के स्वरूप को लेकर है.

उन्होंने बिल के कानून का शक्ल अख्तियार करने पर आइटी सुधार जैसी जरूरतों की चर्चा करते हुए कहा 2011 में प्रणब मुखर्जी ने इस बिल को पेश किया था. उस समय कई दलों सहित भाजपा ने इसका विरोध किया था.

चिदंबर में कहा कि जीएसटी बिल अपने तर्कों आधार पर पास होना चाहिए. पी. चिदंबरम ने कहा कि उच्च कमाई वाले देशों में इनडायरेक्ट टैक्स 16.8% है और भारत जैसे उभरते देशों में इसकी दर 14.1% है. इसलिए, हमें बिल में कम-से-कम इनडायरेक्ट टैक्स रखना चाहिए. जिन टैक्स का अमीर पर ज्यादा और गरीब पर कम असर होता है, वे हैं – इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स है. अत: सरकार को रेवेन्यू का मुख्य जरिया इन्हें ही बनाना चाहिए. उन्होंने जेटली के कुछ बयानों पर प्रसन्नता जतायी.

पी चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी बिल का दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा विवाद समाधान को लेकर है. इसे लेकर पूर्व वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने, जो प्रावधान किए थे वह अब के बिल से बेहतर थे. रूल ऑफ लॉ के तहत विवाद पैदा होने के बाद मैकेनिज्म तैयार नहीं किया जा सकता, बल्कि विवाद से संबंधित पक्षकारों को पहले से पता होना चाहिए कि कोई संस्था उस पर नजर रख रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्यों को एक प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स लगाने की अनुमति बिल से वापस ले ली है. इसका मैं स्वागत करता हूं. मेरी पार्टी की यह मांग है कि टैक्स 18 प्रतिशत से ज्यादा न हो.

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि मैं इस बिल पर वित्त मंत्री के बयान का स्वागत करता हूं. मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि इस बिल के विरोध में कांग्रेस कभी भी नहीं रही है. राज्यसभा में चिदंबरम ने कहा कि जब वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पहली बार बिल लाया तो भाजपा सहित कई पार्टियां जीएसटी के विचार के ही विरोधी थीं. कांग्रेस ने जीएसटी का नहीं बल्कि जीएसटी पर 2014 बिल का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि हमने जीएसटी को पास कराने की कोशिश की थी, लेकिन सदन की सबसे बड़े विपक्षी दल ने उसका विरोध किया और ऐसा नहीं हो सका. बिल में अब भी कई खामियां है. कंसोलिडेटेड फंड पर सरकार ने सफाई नहीं दी है.

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