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महंगाई दर कुछ नरम पड़ी, नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद बढ़ी

नयी दिल्ली: खाद्य वस्तुओं के दाम में वृद्धि की रफ्तार कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में नरम रही. वहीं थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर लगातार 16वें महीने शून्य से नीचे रही. इससे उम्मीद बंधी है कि रिजर्व बैंक अगले महीने मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती कर सकता है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक […]

नयी दिल्ली: खाद्य वस्तुओं के दाम में वृद्धि की रफ्तार कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में नरम रही. वहीं थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर लगातार 16वें महीने शून्य से नीचे रही. इससे उम्मीद बंधी है कि रिजर्व बैंक अगले महीने मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती कर सकता है.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में 5.18 प्रतिशत रही जबकि एक महीना पहले जनवरी में यह 5.69 प्रतिशत पर थी. इस लिहाज से जनवरी के मुकाबले फरवरी में मुद्रास्फीति वृद्धि की रफ्तार कुछ धीमी पडी. लगातार पांच महीने बढते रहने के बाद खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में घटकर तीन महीने के निम्न स्तर 5.18 प्रतिशत पर आ गयी.इसका कारण सब्जी, दाल तथा फलों की कीमतों में वृद्धि की दर धीमी होना है.
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में भी गिरावट रही. यह लगातार 16वें महीने शून्य से नीचे रही और खाद्य उत्पादों विशेष तौर पर सब्जियों और दालों के सस्ते होने से यह फरवरी माह में शून्य से 0.91 प्रतिशत नीचे रही. जनवरी में यह शून्य से 0.90 प्रतिशत नीचे थी. मुद्रास्फीति में कमी तथा औद्योगिक उत्पादन में गिरावट से रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती का मामला मजबूत हुआ है. रिजर्व बैंक 2016-17 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति पांच अप्रैल को पेश करने वाला है.
पिछले महीने खाद्य मुद्रास्फीति 5.30 प्रतिशत रही। आज जारी सरकारी आंकडों के अनुसार इस दौरान सब्जियों, दालों, फलों और दूध के दाम घटे. जनवरी में यह 6.85 प्रतिशत पर थी. फल की कीमतों में 0.7 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि दाल के दाम करीब 38 प्रतिशत बढ़े.
मुद्रास्फीति में गिरावट और औद्योगिक उत्पादन में संकुचन के मद्देनजर उद्योग ने रिजर्व बैंक से ब्याज दर में कटौती की मांग दोहरायी है. उद्योग मंडल फिक्की ने कहा, ‘‘इस मौके पर नीतिगत ब्याज दर में और कटौती तथा बैंकों द्वारा सस्ते कर्ज के रुप में इसका लाभ आगे बढाने से कंपनियों तथा उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होगा. इससे कमजोर चल रहे निवेश चक्र और उपभोक्ता चक्र को गति मिलेगी.”
ऐसोचैम ने भी नीतिगत ब्याज दर कम किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया है. उसकी दलील है कि सरकार ने 2016-17 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 3.5 प्रतिशत के बराबर रखने का फैसला करते हुए राजकोषीय मजबूती की योजना पर कायम रहने की प्रतिबद्धता पूरी की है. उसने कहा, ‘‘इसलिए इससे आरबीआई को नकदी बढाने और ब्याज दर घटाने की अधिक गुंजाइश मिली है ताकि अर्थव्यवस्था में मांग की कमी दूर की जा सके.

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