दावोस: कांग्रेस के साथ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मामले में गतिरोध बने होने का संकेत देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संविधान संशोधन विधेयक में कर की दर की सीमा तय किये जाने की मुख्य विपक्षी पार्टी की मांग को आज बेतुका करार दिया और कहा कि दुनिया में कहीं भी संवैधानिक […]
दावोस: कांग्रेस के साथ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मामले में गतिरोध बने होने का संकेत देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संविधान संशोधन विधेयक में कर की दर की सीमा तय किये जाने की मुख्य विपक्षी पार्टी की मांग को आज बेतुका करार दिया और कहा कि दुनिया में कहीं भी संवैधानिक रूप से इस शुल्क का जिक्र नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने तीन मांगे रखी हैं जिसमें एक शुल्क को संविधान में शामिल करने की बेतुकी मांग भी है. अब क्या वे मुझे बता सकते हैं कि दुनिया में क्या कहीं भी शुल्क का जिक्र संविधान में है.’
जेटली ने कहा, ‘‘हर समय कहीं सूखा, बाढ होती है और आपको कर की दर बढानी पडती है. आपको कर की दर में बदलाव के लिये भारत में सभी राज्यों के पास पहले जाना होगा. यह ऐसी चीज है जो संभव नहीं है.’ जेटली ने कहा कि कोई भी शुल्क अनन्तकाल के लिये नहीं हो सकता.वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘जब मात्रा बढती है, यह नीचे आएगा. संकट में यह उपर जा सकता है. और इसीलिए जब आपकी सरकार थी सीमा की धारण आपके दो वित्त मंत्रियों के जेहन में भी नहीं आयी.’ एनडीटीवी द्वारा आयोजित एक परिचर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अब आप विपक्ष में हैं तो बडे बुद्धिमान हो गये हैं, स्थिति बदल गयी है. आपने :पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान: फाइल पर जो प्रस्ताव किया था, मैं उसे स्वीकार करने को पूरी तरह तैयार हूं.’ हालांकि उन्होंने कहा कि जीएसटी निश्चित रुप से अस्तित्व में आने जा रहा है.
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